दिल्ली उच्च न्यायालय ने महुआ मोइत्रा को राहत देते हुए लोकपाल का आदेश रद्द किया
महुआ मोइत्रा को मिली राहत
दिल्ली उच्च न्यायालय ने तृणमूल कांग्रेस की सांसद महुआ मोइत्रा को शुक्रवार को एक महत्वपूर्ण राहत प्रदान की। अदालत ने लोकपाल के उस आदेश को रद्द कर दिया, जिसमें सीबीआई को पैसे लेकर सवाल पूछने के मामले में आरोप-पत्र दाखिल करने की अनुमति दी गई थी।
अदालत का निर्णय
उच्च न्यायालय ने कहा कि लोकपाल और लोकायुक्त अधिनियम के तहत प्रक्रिया में 'स्पष्ट विचलन' हुआ है। न्यायालय ने यह भी बताया कि लोकपाल ने अधिनियम के प्रावधानों की गलत व्याख्या की है। अदालत ने कहा, 'जिस प्रकार से कार्यवाही की गई, वह न तो कानून के अनुसार है और न ही लोकपाल के कार्यों के उचित निर्वहन के लिए आवश्यक है।'
प्रक्रिया में खामियां
न्यायमूर्ति अनिल क्षेत्रपाल और न्यायमूर्ति हरीश वैद्यनाथन शंकर की पीठ ने अपने 44 पृष्ठों के आदेश में कहा कि अपनाई गई प्रक्रिया लोकपाल अधिनियम की विधिक चतुराई का उल्लंघन करती है। उन्होंने कहा, 'यह आदेश रद्द किया जाता है। लोकपाल से अनुरोध किया गया है कि वे एक महीने के भीतर उचित प्रक्रिया के तहत विचार करें।'
मामले का संदर्भ
यह मामला उस आरोप से संबंधित है जिसमें मोइत्रा पर एक व्यवसायी से नकद और उपहार के बदले सदन में सवाल पूछने का आरोप लगाया गया था। मोइत्रा के वकील ने कहा कि लोकपाल द्वारा अपनाई गई प्रक्रिया में स्पष्ट खामी थी।
सीबीआई का विरोध
केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई) ने इस याचिका का विरोध करते हुए कहा कि लोकपाल की कार्यवाही में मोइत्रा को दस्तावेज पेश करने का अधिकार नहीं है। मोइत्रा ने सीबीआई को आदेश के पालन में कोई कदम उठाने से रोकने का अनुरोध किया है।
भ्रष्टाचार के आरोप
सीबीआई ने जुलाई में मोइत्रा और व्यवसायी दर्शन हीरानंदानी के खिलाफ पैसे लेकर सवाल पूछने के मामले में लोकपाल को अपनी रिपोर्ट सौंपी थी। आरोप है कि मोइत्रा ने हीरानंदानी से रिश्वत लेकर भ्रष्ट आचरण किया।