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दिल्ली उच्च न्यायालय ने डूसू चुनावों के विजय जुलूस पर रोक लगाई

दिल्ली उच्च न्यायालय ने 19 सितंबर को डूसू चुनावों के परिणामों के बाद विजय जुलूस निकालने पर रोक लगा दी है। अदालत ने चुनावों में हस्तक्षेप न करने की बात कही, लेकिन संतोषजनक प्रक्रिया न होने पर पदाधिकारियों के कार्यों पर रोक लगाने की चेतावनी दी। इसके साथ ही, सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए दिल्ली पुलिस और प्रशासन को निर्देश दिए गए हैं। इस निर्णय का छात्रों और संगठनों पर क्या प्रभाव पड़ेगा, यह देखना दिलचस्प होगा।
 

दिल्ली विश्वविद्यालय छात्र संघ चुनावों पर अदालत का निर्णय

दिल्ली उच्च न्यायालय ने 19 सितंबर को दिल्ली विश्वविद्यालय छात्र संघ (डूसू) चुनावों के परिणामों के बाद, उम्मीदवारों और छात्र संगठनों द्वारा राष्ट्रीय राजधानी में विजय जुलूस निकालने पर रोक लगा दी है।


मुख्य न्यायाधीश डी. के. उपाध्याय और न्यायमूर्ति तुषार राव गेडेला की पीठ ने स्पष्ट किया कि अदालत चुनावों में हस्तक्षेप नहीं कर रही है, लेकिन यदि चुनाव ‘संतोषजनक क्रम’ में नहीं हुए, तो डूसू के पदाधिकारियों के कार्यों पर रोक लगाई जा सकती है।


पीठ ने कहा, “हम चुनाव में हस्तक्षेप नहीं कर रहे हैं, लेकिन यदि चुनाव संतोषजनक तरीके से नहीं हुए, तो हम पदाधिकारियों के कार्यों पर रोक लगाने का निर्णय ले सकते हैं।”


इसके अलावा, पीठ ने दिल्ली पुलिस, डीयू अधिकारियों और नागरिक प्रशासन को निर्देश दिया कि वे डूसू चुनावों के दौरान किसी भी अप्रिय घटना को रोकने के लिए सभी आवश्यक और उचित कदम उठाएं और यह सुनिश्चित करें कि चुनावों के दौरान नियमों का उल्लंघन न हो।