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दिल्ली-NCR में बढ़ते प्रदूषण से बच्चों और बुजुर्गों में अस्थमा की समस्या

दिल्ली-NCR में प्रदूषण का स्तर खतरनाक स्थिति में पहुंच गया है, जिससे बच्चों और बुजुर्गों में अस्थमा की समस्या तेजी से बढ़ रही है। धूल, धुआं और हानिकारक कणों के संपर्क में आने से सांस लेने में कठिनाई और अन्य स्वास्थ्य समस्याएं उत्पन्न हो रही हैं। विशेषज्ञों के अनुसार, इस स्थिति से बचने के लिए घर के अंदर रहना, मास्क पहनना और उचित देखभाल करना आवश्यक है। जानें और उपाय जो इस गंभीर समस्या से निपटने में मदद कर सकते हैं।
 

दिल्ली-NCR में प्रदूषण की गंभीरता

बढ़ता प्रदूषण और अस्‍थमाImage Credit source: Getty Images

दिल्ली-NCR में हाल के दिनों में प्रदूषण का स्तर अत्यधिक चिंताजनक बना हुआ है। हवा में धूल, धुआं, PM2.5 और PM10 जैसे हानिकारक कणों की मात्रा तेजी से बढ़ रही है, जिससे सामान्य लोगों को भी सांस लेने में कठिनाई हो रही है। इस स्थिति का सबसे अधिक प्रभाव बच्चों और बुजुर्गों पर पड़ रहा है। लगातार स्मॉग के संपर्क में आने से खांसी, आंखों में जलन, सांस लेने में कठिनाई और सीने में जकड़न जैसे लक्षण तेजी से बढ़ रहे हैं। इसके परिणामस्वरूप अस्थमा की समस्या भी बढ़ रही है।

प्रदूषण के सूक्ष्म कण सीधे फेफड़ों में जाकर सूजन उत्पन्न करते हैं, जिससे वायुमार्ग संकुचित हो जाते हैं। यह स्थिति अस्थमा को उत्तेजित करती है या पहले से मौजूद अस्थमा को और गंभीर बना देती है। बच्चों के फेफड़े अभी पूरी तरह विकसित नहीं होते, इसलिए जहरीली हवा का उन पर जल्दी असर होता है। वहीं, बुजुर्गों में पहले से मौजूद सांस और हृदय संबंधी समस्याएं प्रदूषण के कारण और बिगड़ जाती हैं। इसके प्रमुख लक्षणों में लगातार खांसी, सीने में भारीपन, सांस लेते समय सीटी जैसी आवाज़, तेजी से सांस चलना, बार-बार थकान महसूस होना और रात में सांस फूलना शामिल हैं। कुछ लोगों में आंखों में जलन और गले में खराश भी दिखाई देती है। ये सभी संकेत प्रदूषण के फेफड़ों पर प्रतिकूल प्रभाव डालने का संकेत देते हैं.


बच्चों और बुजुर्गों को अस्थमा से बचाने के उपाय

बढ़ते प्रदूषण में बच्चों और बुजुर्गों को अस्थमा से कैसे बचाएं?

आरएमएल हॉस्पिटल के मेडिसिन विभाग के डॉ. सुभाष गिरी का कहना है कि प्रदूषण के उच्च स्तर के दौरान बच्चों और बुजुर्गों को संभवतः घर के अंदर ही रखना चाहिए, विशेषकर सुबह और शाम के समय जब वायु गुणवत्ता सूचकांक (AQI) सबसे खराब होता है। घर में एयर प्यूरिफायर का उपयोग करें और कमरों को धूल-मुक्त रखें। यदि बाहर जाना आवश्यक हो, तो N95 या N99 मास्क पहनना अत्यंत महत्वपूर्ण है.

पर्याप्त मात्रा में पानी पिलाएं ताकि शरीर में नमी बनी रहे और सूजन कम हो सके। यदि अस्थमा के लक्षण दिखाई दें, तो डॉक्टर द्वारा निर्धारित इनहेलर का नियमित रूप से उपयोग करें और दवाइयों की डोज़ में खुद बदलाव न करें। ठंडी हवा से बचाने के लिए बच्चों और बुजुर्गों को गर्म कपड़े पहनाएं। दिन में भाप लेना, हल्की एक्सरसाइज और घर का ताजा खाना फेफड़ों को राहत प्रदान करता है। यदि स्थिति गंभीर हो या सांस लेने में कठिनाई हो, तो तुरंत डॉक्टर से संपर्क करें.


अन्य महत्वपूर्ण सुझाव

यह भी जरूरी

AQI की जांच करके ही बाहर निकलें.

स्कूल जाने वाले बच्चों को मास्क पहनाएं.

अस्थमा के मरीजों के लिए इनहेलर हमेशा साथ रखें.

घर में वेंटिलेशन अच्छा रखें, लेकिन धुआं या धूल न आने दें.

स्नेक प्लांट और एलोवेरा जैसे पौधे घर की हवा को सुधारते हैं.

स्मॉग के दिनों में किसी भी प्रकार की भारी एक्सरसाइज से बचें.