दिन में झपकी और डायबिटीज का खतरा: क्या है संबंध?
दिन की नींद और डायबिटीज का संबंध
दिन की नींद और डायबिटीज
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आजकल की तेज़ जीवनशैली में दिन में झपकी लेना एक सामान्य प्रथा बन गई है। कई लोग इसे थकान को दूर करने और कार्यक्षमता बढ़ाने का एक उपाय मानते हैं। हाल ही में एक अध्ययन सामने आया है, जिसमें शोधकर्ताओं ने दिन में सोने की आदत और डायबिटीज के जोखिम के बीच संबंध का विश्लेषण किया है। यह अध्ययन एक मेडिकल रिसर्च प्लेटफॉर्म पर प्रकाशित हुआ है। इसका मुख्य उद्देश्य यह जानना था कि क्या दिन में झपकी लेने की आदत डायबिटीज के खतरे को प्रभावित करती है।
शोधकर्ताओं ने पहले से प्रकाशित कई अध्ययनों के डेटा को एकत्रित कर उनका विश्लेषण किया। इसमें लोगों की झपकी लेने की आदत, सोने का समय और उनकी स्वास्थ्य संबंधी जानकारी शामिल की गई। अध्ययन में यह जानने की कोशिश की गई कि क्या 30 मिनट से अधिक की झपकी लेने से डायबिटीज का खतरा बढ़ता है। आइए इस अध्ययन के बारे में विस्तार से जानते हैं।
क्या 30 मिनट से अधिक की झपकी डायबिटीज के जोखिम को बढ़ाती है?
इस अध्ययन में कुल 40 विभिन्न शोधों को शामिल किया गया, जिसमें हजारों लोगों का डेटा था। डेटा संग्रह के दौरान यह देखा गया कि अध्ययन में शामिल व्यक्ति दिन में झपकी लेते हैं या नहीं और यदि लेते हैं, तो कितनी देर तक। इसके बाद इन जानकारियों की तुलना डायबिटीज की स्थिति और रक्त शर्करा नियंत्रण से की गई।
विश्लेषण में पाया गया कि जो लोग दिन में 30 मिनट से अधिक, विशेषकर 1 घंटे या उससे अधिक झपकी लेते हैं, उनमें डायबिटीज का खतरा अधिक होता है। वहीं, 20 से 30 मिनट की झपकी लेने वालों में डायबिटीज का जोखिम स्पष्ट रूप से नहीं बढ़ा। शोधकर्ताओं का मानना है कि लंबे समय तक दिन में सोना एक चेतावनी संकेत हो सकता है, खासकर उन लोगों के लिए जिनमें पहले से डायबिटीज के जोखिम के कारण मौजूद हैं। इसलिए अध्ययन झपकी के समय पर ध्यान देने की सलाह देता है।
दिन में 30 मिनट से अधिक झपकी लेने से डायबिटीज का खतरा कैसे बढ़ सकता है?
गाज़ियाबाद के एंडोक्राइनोलॉजिस्ट डॉ. स्वप्निल जैन के अनुसार, दिन में लंबे समय तक झपकी लेना शरीर की प्राकृतिक जैविक घड़ी को प्रभावित कर सकता है। इससे इंसुलिन का सही तरीके से कार्य नहीं हो पाता और रक्त शर्करा का स्तर प्रभावित हो सकता है। इसके अलावा, जो लोग दिन में अधिक सोते हैं, वे अक्सर शारीरिक रूप से कम सक्रिय रहते हैं, जिससे शरीर में शर्करा का उपयोग ठीक से नहीं हो पाता।
कई बार दिन की झपकी रात की नींद की कमी का संकेत भी होती है, और खराब रात की नींद को डायबिटीज के बढ़ते खतरे से जोड़ा जाता है। लंबे समय तक सोने से मेटाबॉलिज्म धीमा हो सकता है, जिससे वजन बढ़ने की संभावना रहती है। वजन बढ़ना डायबिटीज का एक बड़ा जोखिम है। इसलिए नियमित और लंबी झपकी को स्वास्थ्य के लिए चेतावनी संकेत के रूप में देखा जाता है।
विशेषज्ञ की राय
डॉ. स्वप्निल जैन ने बताया कि दिन में झपकी लेना पूरी तरह से गलत नहीं है, लेकिन इसके समय और आदत पर ध्यान देना आवश्यक है। यदि झपकी लेनी हो, तो इसे 20 से 30 मिनट तक सीमित रखना चाहिए। इसके साथ ही रात की नींद पूरी होना भी बहुत महत्वपूर्ण है, क्योंकि अधूरी रात की नींद दिन में अधिक नींद आने का कारण बन सकती है।
इसके अलावा, नियमित शारीरिक गतिविधि, जैसे रोजाना चलना या हल्की एक्सरसाइज, रक्त शर्करा को नियंत्रित रखने में मदद करती है। यदि किसी व्यक्ति को बार-बार दिन में नींद आती है, तो इसे नजरअंदाज न करें और रक्त शर्करा की जांच कराएं। संतुलित आहार, निर्धारित समय पर भोजन और सक्रिय जीवनशैली अपनाकर डायबिटीज के खतरे को काफी हद तक कम किया जा सकता है.