दशहरा: बुराई पर अच्छाई की जीत का प्रतीक
दशहरा का महत्व
दशहरा, शारदीय नवरात्रि के दसवें दिन मनाया जाता है। इस दिन भगवान राम ने रावण का वध किया था, इसलिए इसे अच्छाई की बुराई पर विजय का प्रतीक माना जाता है। इस वर्ष, दशहरा 2 अक्टूबर को मनाया जाएगा। कुछ लोग इस दिन रावण की भी पूजा करते हैं। कहा जाता है कि रावण एक महान विद्वान और ज्ञानी था, इसलिए कुछ लोग उसकी पूजा करते हैं, लेकिन इसके साथ अन्य पहलू भी जुड़े हुए हैं। ज्योतिषी पंडित दीप लाल जयपुरी ने बताया कि रावण सभी चार वेदों, छह शास्त्रों और अठारह पुराणों का ज्ञाता था। हालांकि, वह घमंड से भर गया था। भगवान राम ने इस घमंड को समाप्त करके विजय प्राप्त की।
लोग क्या करते हैं
लोगों की पूजा विधि
पंडित दीप लाल जयपुरी के अनुसार, दशहरे पर रावण के पुतले की पूजा करने से सुख और समृद्धि मिलती है। लोग अपने दुश्मनों को संतुष्ट करने के लिए भी इस दिन रावण की पूजा करते हैं। इस पूजा में लोग आटे या गोबर से रावण बनाते हैं और उसे गन्ना, अंकुरित जौ, मिठाई, दही, मूली और गाजर अर्पित करते हैं, ताकि अगले छह वर्षों के लिए समृद्धि की प्रार्थना की जा सके।
रावण को जलाना क्यों खतरनाक है?
रावण के जलाने का खतरा
रावण की पूजा के दौरान अपराजिता पूजा की जाती है। यह पूजा कल सुबह 8:00 बजे से 12:35 बजे के बीच करनी चाहिए। रावण की लकड़ी को घर लाने से भी बड़े लाभ होते हैं। इस लकड़ी को लाल कपड़े में पीले चावल के साथ लपेटकर उस स्थान पर रखें जहाँ आप पैसे रखते हैं। इससे बड़े लाभ होंगे। जो लोग रावण को सड़कों पर जलाते हैं, उन्हें ऐसा नहीं करना चाहिए। इससे नकारात्मक प्रभाव, यानी बुरी शक्तियों का खतरा होता है।
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