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दशहरा पर शिवसेना की दो बड़ी रैलियाँ: राजनीतिक माहौल में शक्ति प्रदर्शन

इस साल दशहरा चुनावी माहौल में मनाया जा रहा है, जिसमें मुंबई में शिवसेना की दो बड़ी रैलियाँ हो रही हैं। यूबीटी शिवसेना और शिंदे सेना के कार्यकर्ता अपने-अपने क्षेत्रों में शक्ति प्रदर्शन कर रहे हैं। इस अवसर पर किसानों की सहायता के लिए राहत सामग्री पहुँचाने का भी कार्य किया जाएगा। जानें इस पर्व का महत्व और राजनीतिक गतिविधियों का असर।
 

दशहरा का राजनीतिक महत्व

दशहरा सांकेतिक

इस वर्ष दशहरा ऐसे समय पर मनाया जा रहा है जब देश के विभिन्न राज्यों में चुनावी गतिविधियाँ तेज हैं। राजनीतिक दल इस अवसर का लाभ उठाने में जुटे हैं। आज मुंबई में दो प्रमुख दशहरा रैलियाँ आयोजित की जा रही हैं, जो शिवसेना के लिए शक्ति प्रदर्शन का दिन है। पहली रैली यूबीटी शिवसेना द्वारा शिवाजी पार्क में आयोजित की गई है, जबकि दूसरी रैली शिंदे सेना द्वारा गोरेगांव के नेस्को सेंटर में होगी।

नेस्को रैली में एकनाथ शिंदे ने केवल मुंबई, ठाणे और आसपास के क्षेत्रों के पार्टी कार्यकर्ताओं को आमंत्रित किया है, जिससे यह स्पष्ट है कि गोरेगांव की रैली में केवल 5 से 6 जिलों के कार्यकर्ता शामिल होंगे। वहीं, शिवाजी पार्क में राज्यभर से यूबीटी शिवसेना के कार्यकर्ता एकत्रित होंगे।

किसानों की सहायता के लिए कार्यकर्ताओं की पहल

शिंदे सेना के कार्यकर्ता महाराष्ट्र के 30 जिलों में बाढ़ से प्रभावित किसानों के परिवारों को राहत सामग्री पहुँचाने का कार्य करेंगे। नेस्को हॉल में 20 से 25 हजार कार्यकर्ताओं के बैठने की व्यवस्था की जा रही है, जिसमें मुंबई, ठाणे, नवी मुंबई, वसई, पालघर, कल्याण, रायगढ़ और मीरा रोड से कार्यकर्ता शामिल होंगे।

दशहरा का महत्व

दशहरा, जिसे विजयदशमी के नाम से भी जाना जाता है, हिंदू धर्म में एक महत्वपूर्ण त्योहार है, जो बुराई पर अच्छाई की विजय का प्रतीक है। मान्यता के अनुसार, इस दिन भगवान राम ने रावण पर विजय प्राप्त की थी। कुछ क्षेत्रों में, यह पर्व मां दुर्गा द्वारा महिषासुर पर विजय की याद में मनाया जाता है।

दशहरा सत्य, धर्म और नैतिकता की जीत का उत्सव है, जो लोगों को बुरे विचारों और आदतों को त्यागने और अच्छे गुणों को अपनाने के लिए प्रेरित करता है। आज पूरे भारत में इस पर्व का उत्सव मनाया जा रहा है।