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दशहरा 2025: भारत के ये स्थान जहां रावण दहन नहीं होता

दशहरा 2025 के अवसर पर, जानें भारत के उन अनोखे स्थानों के बारे में जहां रावण दहन नहीं किया जाता। मध्य प्रदेश, उत्तर प्रदेश, महाराष्ट्र, हिमाचल प्रदेश, राजस्थान और झारखंड जैसे राज्यों में रावण को सम्मानित किया जाता है। यहां रावण की पूजा की जाती है और उसे दामाद, कुल देवता और विद्वान के रूप में देखा जाता है। यह विविधता भारतीय संस्कृति की गहराई को दर्शाती है।
 

दशहरा पर रावण दहन की अनोखी परंपराएं


दशहरा का पर्व पूरे भारत में धूमधाम से मनाया जाता है, जिसमें भगवान श्रीराम की विजय का जश्न मनाने के लिए रावण का दहन किया जाता है। लेकिन क्या आप जानते हैं कि कुछ स्थानों पर रावण दहन नहीं किया जाता? यहां रावण को न केवल सम्मानित किया जाता है, बल्कि कई जगहों पर उसकी पूजा भी की जाती है। इसके पीछे रावण की विद्वता और शिवभक्ति से जुड़ी मान्यताएं हैं। आइए जानते हैं उन प्रमुख स्थानों के बारे में जहां रावण दहन नहीं होता।


भारत के वो स्थान जहां रावण दहन नहीं होता

मंदसौर, मध्य प्रदेश: रावण को दामाद मानने की परंपरा


मध्य प्रदेश के मंदसौर में दशहरे के दिन रावण दहन नहीं किया जाता। यहां की मान्यता के अनुसार, रावण की पत्नी मंदोदरी का मायका मंदसौर है, इसलिए लोग उसे अपना दामाद मानते हैं। दामाद के पुतले को जलाना यहां अशुभ माना जाता है। यहां रावण की एक विशाल प्रतिमा भी है, जिसकी पूजा की जाती है।


बिसरख, उत्तर प्रदेश: रावण का जन्मस्थान


उत्तर प्रदेश के बिसरख गांव में भी दशहरा नहीं मनाया जाता। इसे रावण का ननिहाल और जन्मस्थान माना जाता है। यहां के लोग रावण को एक महान विद्वान मानते हैं और उसकी आत्मा की शांति के लिए विशेष पूजा करते हैं।


गढ़चिरौली, महाराष्ट्र: रावण का कुल देवता


महाराष्ट्र के गढ़चिरौली में आदिवासी समुदाय रावण की पूजा करता है। वे उसे शिव भक्त और कुल देवता मानते हैं, इसलिए यहां रावण दहन नहीं होता।


बैजनाथ, हिमाचल प्रदेश: शिव भक्त की तपोस्थली


हिमाचल प्रदेश के बैजनाथ में रावण दहन की परंपरा नहीं है। यहां रावण की पूजा की जाती है, क्योंकि उन्होंने भगवान शिव को प्रसन्न करने के लिए कठोर तप किया था।


मंडोर, राजस्थान: रावण का विवाह स्थल


राजस्थान के मंडोर को रावण और मंदोदरी का विवाह स्थल माना जाता है। यहां रावण का दहन नहीं किया जाता, बल्कि कुछ समुदाय शोक व्यक्त करते हैं।


देवघर, झारखंड: रावणेश्वर धाम


झारखंड के देवघर में रावणेश्वर ज्योतिर्लिंग है, जिसे रावण ने स्थापित किया था। यहां रावण दहन नहीं होता और लोग उसकी पूजा करते हैं।


हालांकि रावण दहन बुराई पर अच्छाई की जीत का प्रतीक है, लेकिन भारत के कुछ हिस्सों में रावण को उसके ज्ञान और शिवभक्ति के कारण सम्मानित किया जाता है। यह दर्शाता है कि भारतीय संस्कृति हर पात्र को एक अलग दृष्टिकोण से देखने की परंपरा रखती है।