दलाई लामा के पुनर्जन्म पर पेन्पा त्सेरिंग का चीन को कड़ा जवाब
दलाई लामा का पुनर्जन्म और चीन की दखलंदाजी
तिब्बती बौद्ध धर्म के प्रमुख दलाई लामा ने स्पष्ट किया है कि उनका पुनर्जन्म होगा और उनका उत्तराधिकारी आध्यात्मिक प्रक्रिया के माध्यम से चुना जाएगा। यह बयान उन्होंने चीन की उस कोशिश के संदर्भ में दिया है, जिसमें बीजिंग यह निर्धारित करना चाहता है कि अगला दलाई लामा कौन होगा। दलाई लामा का यह बयान चीन और अमेरिका की राजनीति में हलचल पैदा कर रहा है, जबकि तिब्बती समुदाय इसे आत्मविश्वास और विजय का प्रतीक मान रहा है.
पेन्पा त्सेरिंग का चीन पर हमला
तिब्बत की निर्वासित सरकार के नेता पेन्पा त्सेरिंग ने दलाई लामा के बयान का समर्थन करते हुए चीन पर तीखा हमला किया। उन्होंने कहा कि पुनर्जन्म एक पूरी तरह से आध्यात्मिक प्रक्रिया है, न कि राजनीतिक उपकरण। पेन्पा ने स्पष्ट किया, "चीन इस मामले में हस्तक्षेप नहीं कर सकता। यह निर्णय केवल धर्मगुरु द्वारा लिया जा सकता है।" उन्होंने इसे तिब्बती संस्कृति और धर्म पर हमले की कोशिश बताया.
पेन्पा का चीन पर तंज
पेन्पा त्सेरिंग ने चीन की बौद्ध धर्म को समझने में कमी पर भी तंज कसा। उन्होंने कहा, "अगर चीन वास्तव में पुनर्जन्म में विश्वास करता है, तो उसे माओ जेडोंग और जियांग ज़ेमिन जैसे नेताओं के पुनर्जन्म की भी तलाश करनी चाहिए।" यह टिप्पणी चीन के धार्मिक मामलों में हस्तक्षेप को लेकर की गई थी.
‘गोल्ड अर्न’ प्रक्रिया का खंडन
चीन की मांग है कि अगला दलाई लामा ‘गोल्ड अर्न’ नामक प्रक्रिया के तहत चुना जाए, जो 1793 में चिंग राजवंश द्वारा लागू की गई थी। पेन्पा त्सेरिंग ने इस प्रक्रिया को खारिज करते हुए कहा कि पहले आठ दलाई लामा बिना इस प्रक्रिया के चुने गए थे और यह तिब्बती बौद्ध संस्कृति के अनुरूप नहीं है.
उत्तराधिकारी की घोषणा का समय
पेन्पा ने यह भी स्पष्ट किया कि दलाई लामा की 90वीं जयंती पर उत्तराधिकारी की कोई घोषणा नहीं होगी। उन्होंने बताया कि दलाई लामा कम से कम 20 साल और जीवित रहने की इच्छा व्यक्त कर चुके हैं और उचित समय पर ही उत्तराधिकारी के बारे में निर्णय लिया जाएगा.
चीन की चाल को विफल बताया
पेन्पा ने आरोप लगाया कि चीन तिब्बत में धार्मिक समुदायों के बीच फूट डालने की कोशिश कर रहा है, लेकिन उन्होंने कहा कि "यह चाल ज्यादा दिन नहीं चलेगी।" उन्होंने कहा कि पूरी दुनिया जानती है कि दलाई लामा का पुनर्जन्म एक गहरी आध्यात्मिक परंपरा है और इसमें किसी राजनीतिक शक्ति का हस्तक्षेप अस्वीकार्य है.