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दक्षिण एशिया में नई राजनीतिक हलचल: भारत और पाकिस्तान के बीच बढ़ता तनाव

अफगानिस्तान के विदेश मंत्री की भारत यात्रा ने पाकिस्तान में हलचल मचा दी है। इस बीच, पाकिस्तान ने काबुल पर हवाई हमले किए और आतंकवाद के नए रूपों का सामना कर रहा है। भारत ने अपनी अफगान नीति को नया आयाम दिया है, जिससे क्षेत्रीय स्थिरता की राजनीति में उसकी भूमिका महत्वपूर्ण हो गई है। क्या दक्षिण एशिया में स्थिति संवाद और स्थिरता की ओर बढ़ेगी, या फिर पुरानी अस्थिरता में लौटेगी? जानें इस लेख में।
 

भारत में अफगान विदेश मंत्री की यात्रा का प्रभाव

जैसे ही अफगानिस्तान के विदेश मंत्री भारत पहुंचे, पाकिस्तान में हलचल मच गई। दिल्ली और काबुल के बीच कूटनीतिक बातचीत में तेजी आई, जबकि पाकिस्तान ने काबुल पर हवाई हमले किए। यह एक संयोग नहीं, बल्कि एक स्पष्ट संकेत है। दक्षिण एशिया में राजनीतिक परिदृश्य तेजी से बदल रहा है। भारत अपनी नई भूमिका को परिभाषित कर रहा है, जबकि पाकिस्तान अपनी पुरानी 'रणनीतिक गहराई' के खोने के डर से चिंतित है।


पाकिस्तान के हवाई हमले और आतंकवाद का संरक्षण

पाकिस्तानी विमानों ने तहरीक-ए-तालिबान पाकिस्तान (TTP) के ठिकानों पर हमले किए, लेकिन असली संदेश अफगान सरकार और भारत के लिए था कि इस्लामाबाद अपने 'सुरक्षा क्षेत्र' में किसी भी बाहरी दखल को बर्दाश्त नहीं करेगा। यह वही पाकिस्तान है जो एक ओर आतंकवाद के खिलाफ कार्रवाई का दावा करता है, वहीं दूसरी ओर उन संगठनों को संरक्षण देता है जो क्षेत्र में अस्थिरता पैदा करते हैं।


जमात-उल-मोमिनात का गठन और नई चुनौतियाँ

इस बीच, एक और चौंकाने वाली खबर आई है कि Jaish-e-Mohammed ने अपनी महिला शाखा 'Jamaat-ul-Mominaat' का गठन किया है, जिसका नेतृत्व मसूद अजहर की बहन सदिया कर रही हैं। यह आतंकवाद की रणनीति में एक नया और खतरनाक मोड़ है, जिसे 'जिहाद का नारीकरण' कहा जा सकता है। महिलाएं अब पर्दे के पीछे से वैचारिक और संगठनात्मक जिम्मेदारियाँ निभा रही हैं, जिससे आतंकवादी नेटवर्क समाज के नए स्तरों में प्रवेश कर रहे हैं। यह न केवल सुरक्षा एजेंसियों के लिए चुनौती है, बल्कि चरमपंथ को वैधता देने की एक सोची-समझी कोशिश भी है।


भारत की नई अफगान नीति

भारत और अफगानिस्तान के बीच वार्ता ने नई दिल्ली की अफगान नीति को नया आयाम दिया है। भारत ने काबुल में अपने मिशन को पूर्ण दूतावास में उन्नत करने की दिशा में कदम बढ़ाया है। यह स्पष्ट संदेश है कि भारत न केवल मानवीय सहायता में, बल्कि क्षेत्रीय स्थिरता की राजनीति में भी एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाना चाहता है। पाकिस्तान के लिए यह स्थिति स्वीकार्य नहीं हो सकती।


दक्षिण एशिया में बदलते समीकरण

इन तीन घटनाओं— अफगान वार्ता, पाकिस्तानी हमले और जमात-उल-मोमिनात के गठन ने यह स्पष्ट कर दिया है कि दक्षिण एशिया में सत्ता, सुरक्षा और रणनीति का समीकरण तेजी से बदल रहा है। भारत जहां कूटनीतिक परिपक्वता दिखा रहा है, वहीं पाकिस्तान अब भी पुराने डर और असुरक्षा में उलझा हुआ है। इसलिए सवाल यह है कि क्या यह क्षेत्र संवाद और स्थिरता की दिशा में आगे बढ़ेगा, या फिर एक बार फिर 'आतंक, अविश्वास और अस्थिरता' की पुरानी लय में लौट जाएगा? समय ही इसका उत्तर देगा, लेकिन संकेत स्पष्ट हैं कि भारत शांत रहकर खेल जीतना चाहता है, जबकि पाकिस्तान शोर मचाकर हार रहा है।