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थायरॉयड समस्या में योगासन: स्वामी रामदेव के सुझाव

थायरॉयड की समस्या महिलाओं में अधिक आम है, और इसके कई कारण हो सकते हैं। स्वामी रामदेव के अनुसार, योगासन जैसे सूर्य नमस्कार, भस्त्रिका प्राणायाम, कपालभाति और सिंहासन इस स्थिति में लाभकारी हो सकते हैं। ये आसन न केवल थायरॉयड ग्रंथि के कार्य को सुधारते हैं, बल्कि तनाव को भी कम करते हैं। इस लेख में जानें कि कैसे नियमित योगाभ्यास से थायरॉयड को नियंत्रित किया जा सकता है और इसके लक्षणों को कम किया जा सकता है।
 

थायरॉयड की समस्या और योग का महत्व

स्वामी रामदेव

थायरॉयड की समस्या महिलाओं में अधिक आम है, जिसका मुख्य कारण हार्मोनल परिवर्तन जैसे पीरियड्स, गर्भावस्था और मेनोपॉज हैं। यह ग्रंथि शरीर में ऊर्जा, मेटाबॉलिज्म, हृदय की धड़कन और मूड को नियंत्रित करती है। थायरॉयड के दो मुख्य प्रकार होते हैं: हाइपोथायरॉयडिज़्म, जिसमें हार्मोन का उत्पादन कम होता है, और हाइपरथायरॉयडिज़्म, जिसमें हार्मोन का उत्पादन अधिक होता है। जब यह संतुलन बिगड़ता है, तो शरीर की कई प्रक्रियाएं प्रभावित होती हैं। स्वामी रामदेव के योगासन इस स्थिति में लाभकारी हो सकते हैं।

थायरॉयड के कई कारण हो सकते हैं, जिनमें ऑटोइम्यून डिसऑर्डर, आयोडीन की कमी, अनियमित दिनचर्या, तनाव, पारिवारिक इतिहास और हार्मोनल असंतुलन शामिल हैं। इसके लक्षण इसके प्रकार पर निर्भर करते हैं। हाइपोथायरॉयडिज़्म में थकान, वजन बढ़ना, बालों का झड़ना, ठंड लगना और कब्ज आम हैं, जबकि हाइपरथायरॉयडिज़्म में वजन कम होना, दिल की धड़कन तेज होना, घबराहट, नींद की कमी और गर्मी अधिक लगना शामिल हैं। समय पर पहचान और योगासन के माध्यम से इसे नियंत्रित किया जा सकता है.


थायरॉयड समस्या में लाभकारी योगासन

सूर्य नमस्कार

स्वामी रामदेव के अनुसार, सूर्य नमस्कार पूरे शरीर को सक्रिय करता है और रक्त प्रवाह को बेहतर बनाता है। इससे गले और गर्दन में हल्का खिंचाव आता है, जो थायरॉयड ग्रंथि के कार्य को सुधारने में मदद करता है। नियमित अभ्यास से मेटाबॉलिज्म में वृद्धि होती है और ऊर्जा स्तर भी बढ़ता है।

भस्त्रिका प्राणायाम

इस प्राणायाम में तेज और गहरी सांस लेने की प्रक्रिया थायरॉयड ग्रंथि को अधिक ऑक्सीजन और ऊर्जा प्रदान करती है। इससे शरीर में रक्त प्रवाह में सुधार होता है और हार्मोनल असंतुलन को नियंत्रित करने में मदद मिलती है। यह थकान, सुस्ती और तनाव को भी कम करता है।

कपालभाति

इस तकनीक में पेट को भीतर खींचकर सांस छोड़ने से पाचन में सुधार होता है और मेटाबॉलिक रेट तेजी से बढ़ता है। यह शरीर के धीमे हार्मोनल कार्यों को सक्रिय करता है और थायरॉयड असंतुलन को नियंत्रित करने में सहायक होता है। इससे वजन नियंत्रण में भी मदद मिलती है।

सिंहासन

इस आसन में गले पर हल्का खिंचाव आता है, जो थायरॉयड ग्रंथि को उत्तेजित करता है। यह आसन तनाव और चिंता को कम करता है, जो थायरॉयड बिगड़ने का एक बड़ा कारण है। नियमित अभ्यास से गले की मांसपेशियां मजबूत होती हैं और हार्मोनल संतुलन में सुधार होता है.


थायरॉयड के लिए अन्य महत्वपूर्ण बातें

ये भी जरूरी है

योग का अभ्यास नियमित रूप से और खाली पेट करना चाहिए। थायरॉयड की दवाओं को योग से नहीं बदलना चाहिए, बल्कि योग को सहायक के रूप में अपनाना चाहिए। तनाव को कम करना अत्यंत आवश्यक है। संतुलित आहार, पर्याप्त नींद और समय पर दवा लेना भी बहुत महत्वपूर्ण है.