तेलंगाना हाईकोर्ट का अनोखा फैसला: पत्नी की नपुंसकता के आरोप पर 90 लाख रुपये की मांग खारिज
पति-पत्नी के विवाद में हाईकोर्ट का निर्णय
पति-पत्नी के बीच विवाद अक्सर न्यायालयों में पहुँचते हैं, लेकिन तेलंगाना हाईकोर्ट में हाल ही में एक अनोखा मामला सामने आया है। एक पत्नी ने अपने पति पर 'नपुंसक' होने का गंभीर आरोप लगाते हुए गुजारा भत्ता के रूप में 90 लाख रुपये की मांग की।
जब यह मामला न्यायालय में पहुँचा, तो एक महत्वपूर्ण सवाल ने स्थिति को बदल दिया।
मामले का सारांश
महिला ने अपने पति से तलाक के लिए याचिका दायर की, जिसमें उसने आरोप लगाया कि उसका पति नपुंसक है, जिससे उनकी वैवाहिक जीवन में समस्याएँ उत्पन्न हो रही हैं। इसी आधार पर, उसने अपने और अपने बच्चे के भविष्य के लिए पति से 90 लाख रुपये के गुजारे भत्ते की मांग की।
यह मामला फैमिली कोर्ट से होते हुए तेलंगाना हाईकोर्ट तक पहुँचा। कोर्ट ने दोनों पक्षों की दलीलें सुनीं।
कोर्ट का निर्णय और सबूतों की कमी
सुनवाई के दौरान, हाईकोर्ट ने महिला से उसके आरोपों को साबित करने के लिए सबूत पेश करने को कहा। कोर्ट ने स्पष्ट रूप से पूछा कि क्या उसके पास कोई मेडिकल रिपोर्ट या ठोस सबूत है, जिससे यह सिद्ध हो सके कि उसका पति वास्तव में नपुंसक है।
पत्नी इस सवाल का संतोषजनक उत्तर नहीं दे पाई और न ही कोई ठोस प्रमाण पेश कर सकी।
इस आधार पर, तेलंगाना हाईकोर्ट ने एक महत्वपूर्ण निर्णय सुनाया। कोर्ट ने कहा कि केवल आरोप लगाने से कोई बात साबित नहीं होती। नपुंसकता जैसे गंभीर आरोप के लिए ठोस सबूत होना आवश्यक है। बिना प्रमाण के, कोर्ट ऐसे आरोपों को मान्यता नहीं दे सकता।
अंततः, कोर्ट ने पत्नी की 90 लाख रुपये के गुजारे भत्ते की मांग को खारिज कर दिया और कहा कि निराधार आरोपों के आधार पर इतनी बड़ी राशि नहीं दी जा सकती।