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तुलसी पूजन दिवस 2025: जानें पूजा विधि और महत्व

तुलसी पूजन दिवस 2025, जो 25 दिसंबर को मनाया जाएगा, हिंदू धर्म में एक महत्वपूर्ण दिन है। इस दिन तुलसी की पूजा विधि, उसके महत्व और विशेष कार्यों के बारे में जानें। तुलसी को देवी का स्वरूप मानते हुए, इस दिन विधिपूर्वक पूजा करने से भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी का आशीर्वाद प्राप्त होता है। जानें कैसे इस दिन की पूजा से घर में सुख-शांति और सकारात्मकता बनी रहती है।
 

तुलसी पूजन दिवस 2025

तुलसी पूजन दिवस 2025


तुलसी पूजन दिवस 2025: भारत में हर दिन तुलसी की पूजा की जाती है। इसे जल अर्पित किया जाता है। हिंदू धर्म में तुलसी को केवल एक पौधा नहीं, बल्कि देवी का रूप माना जाता है। भगवान विष्णु को तुलसी अत्यंत प्रिय है और इसे भोग में भी शामिल किया जाता है। मान्यता है कि तुलसी में माता लक्ष्मी का निवास होता है। सच्चे मन से तुलसी की पूजा करने पर भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी का आशीर्वाद प्राप्त होता है।


हर वर्ष भारत में तुलसी पूजन दिवस मनाया जाता है। इस दिन विधिपूर्वक पूजा करने से भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी की कृपा प्राप्त होती है। तुलसी को हरिप्रिया भी कहा जाता है। इसकी पूजा से घर में नकारात्मक शक्तियों का प्रभाव कम होता है और सुख-शांति बनी रहती है। इस दिन कुछ विशेष कार्य करने से शुभ फल की प्राप्ति होती है।


तुलसी पूजन दिवस कब है?


पंचांग के अनुसार, 2025 में तुलसी पूजन दिवस 25 दिसंबर, गुरुवार को मनाया जाएगा। हालांकि, पौष मास के कृष्ण पक्ष की दशमी तिथि 24 दिसंबर की शाम से शुरू होगी, लेकिन उदया तिथि के अनुसार, 25 दिसंबर को इसे मनाने का महत्व है।


तुलसी पूजन दिवस पर करें ये कार्य


तुलसी जी की पूजा और परिक्रमा करें


इस बार तुलसी पूजन दिवस गुरुवार को है। इस दिन सुबह स्नान के बाद पीले वस्त्र पहनें और तुलसी जी की पूजा करें। 3 या 7 बार परिक्रमा करने से भगवान विष्णु प्रसन्न होते हैं और जीवन में सुख-समृद्धि आती है।


तुलसी जी के समक्ष दीपक जलाएं


तुलसी पूजन दिवस पर सूर्यास्त के बाद तुलसी जी के सामने गाय के घी का दीपक जलाना चाहिए। ऐसा करने से घर में नकारात्मकता दूर होती है और सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है।


इन बातों का ध्यान रखें


शुभ फल की प्राप्ति के लिए इस दिन कुछ बातों का ध्यान रखना आवश्यक है। इस दिन बिना स्नान किए तुलसी जी को नहीं छूना चाहिए। इसके अलावा, सूर्यास्त के बाद तुलसी में जल नहीं देना चाहिए।