तीन दिवसीय दीनी तब्लीगी इज्तिमा में सादगी और शिक्षा पर जोर
इज्तिमा का उद्घाटन और वक्ताओं के विचार
हर व्यक्ति की पहचान उसके व्यवहार से होती है, इसलिए घर, समाज और व्यवसाय में सादगी, ईमानदारी और विनम्रता का पालन करना आवश्यक है। यह विचार शुक्रवार को रामगढ़ मोड कर्बला मैदान में शुरू हुए तीन दिवसीय दीनी तब्लीगी इज्तिमा के पहले दिन इस्लामी विद्वानों और स्कॉलर्स ने साझा किए।
इस्लाम के बुनियादी सिद्धांतों की चर्चा
सुबह की फजर नमाज के बाद इज्तिमा की शुरुआत हुई। वक्ताओं ने इस्लाम के पांच मूल स्तंभों - कलमा, नमाज, रोजा, जकात और हज - की महत्वपूर्णता पर प्रकाश डाला। उन्होंने बताया कि मुसलमानों का जीवन इन्हीं सिद्धांतों पर आधारित है और इनका पालन करना हर मुस्लिम का कर्तव्य है।
दीन और इंसानियत की सेवा
दोपहर में जुहर नमाज के बाद मुफ्ती अबरार ने तकरीरें दीं। उन्होंने कहा कि अल्लाह ने दीन सिखाने के लिए अपने पैगम्बरों को भेजा और इंसानियत की सेवा का संदेश दिया।
कुरआन की शिक्षा का महत्व
असर की नमाज के बाद मौलवी अब्दुल वाहिद ने कुरआन की शिक्षा को हर व्यक्ति तक पहुंचाने की आवश्यकता पर जोर दिया। उन्होंने कहा कि कुरआन को पढ़ने के साथ-साथ उसके बताए मार्ग पर चलना भी आवश्यक है।
अल्लाह के नबी के उपदेश
शाम को मगरिब की नमाज के बाद मुफ्ती सैय्यद अमजद अली ने कहा कि अल्लाह के नबी मोहम्मद साहब ने इंसानियत के लिए जो आचार और व्यवहार बताया है, उसे अपनाना चाहिए। उन्होंने कहा कि हमें उस खुदा का आभार व्यक्त करना चाहिए जिसने इस दुनिया और इसके सभी तत्वों को बनाया।
तालीम और सादगी का महत्व
अन्य वक्ताओं ने शिक्षा प्राप्त करने की अपील की और बताया कि तालीम ही वह मार्ग है जो हमें बेहतर इंसान बनाता है। उन्होंने कहा कि आज के समय में सादगी से जीना और शिक्षा के लिए समय निकालना पहले से कहीं अधिक महत्वपूर्ण हो गया है।
इज्तिमा की व्यवस्थाएं
शहर और आसपास के क्षेत्रों से आए हजारों लोगों के लिए कार्यक्रम स्थल पर खाने-पीने और ठहरने की व्यवस्था की गई है। इज्तिमा में हर सुबह और शाम तकरीरें होंगी। रविवार को असर की नमाज के बाद सादगी से 160 जोड़ों का निकाह भी होगा।