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तिरुपति बालाजी मंदिर: महिलाओं द्वारा बाल चढ़ाने की अनोखी परंपरा

तिरुपति बालाजी मंदिर, जो आंध्र प्रदेश में स्थित है, एक प्राचीन धार्मिक स्थल है जहां भक्त अपने बाल अर्पित करते हैं। यह परंपरा केवल पुरुषों तक सीमित नहीं है, महिलाएं भी धन की प्राप्ति के लिए अपने बालों का दान करती हैं। इस परंपरा के पीछे एक दिलचस्प पौराणिक कथा है, जिसमें भगवान विष्णु, ऋषि भृगु और माता लक्ष्मी की कहानी शामिल है। जानें इस अनोखी परंपरा के बारे में और इसके धार्मिक महत्व को।
 

तिरुपति बालाजी मंदिर का महत्व

तिरुपति बालाजी मंदिर

तिरुपति बालाजी मंदिर: भारत में प्राचीन मंदिरों की भरपूर विरासत है, और इनमें से एक प्रमुख स्थल तिरुपति बालाजी का मंदिर है। यह मंदिर आंध्र प्रदेश के चित्तूर जिले में स्थित है, जहां भगवान विष्णु के अवतार वेंकटेश्वर की पूजा की जाती है। भक्त यहां दूर-दूर से आते हैं, और इस मंदिर में एक अनोखी परंपरा है, जिसमें भक्त अपने बाल अर्पित करते हैं।

यहां केवल पुरुष ही नहीं, बल्कि महिलाएं भी अपने बालों का दान करती हैं। महिलाएं धन की प्राप्ति के लिए मन्नतें मांगती हैं और जब उनकी इच्छाएं पूरी होती हैं, तो वे अपने लंबे बालों को अर्पित करती हैं। यह परंपरा सदियों से चली आ रही है और इसके पीछे एक दिलचस्प कहानी है।


पौराणिक कथा का सार

पौराणिक कथा के अनुसार…

किसी समय, विश्व कल्याण के लिए एक यज्ञ का आयोजन किया गया था। इस यज्ञ का फल किसे अर्पित किया जाए, यह तय करने की जिम्मेदारी ऋषि भृगु को दी गई। पहले वे ब्रह्मा जी के पास गए, फिर भगवान शिव के पास, लेकिन उन्हें दोनों ही अनुपयुक्त लगे। अंत में, जब वे भगवान विष्णु के पास पहुंचे, तो भगवान विश्राम कर रहे थे। ऋषि भृगु ने इसे अपमान समझा और क्रोध में आकर भगवान विष्णु की छाती पर ठोकर मार दी। भगवान विष्णु ने उनकी चिंता की और पूछा कि क्या उन्हें चोट लगी है।


माता लक्ष्मी का प्रस्थान

माता लक्ष्मी बैकुंठ धाम छोड़कर चली गईं

ऋषि भृगु को अपनी गलती का एहसास हुआ और उन्होंने यज्ञ का फल भगवान विष्णु को अर्पित करने का निर्णय लिया। लेकिन माता लक्ष्मी को ऋषि भृगु द्वारा भगवान विष्णु का अपमान करने पर बहुत दुख हुआ और उन्होंने बैकुंठ धाम छोड़ने का निर्णय लिया। भगवान विष्णु ने उन्हें खोजा, लेकिन वे नहीं मिलीं। अंततः, भगवान विष्णु ने धरती पर श्रीनिवास के रूप में जन्म लिया। माता लक्ष्मी का जन्म पद्मावती के रूप में हुआ और बाद में उनका विवाह श्रीनिवास से हुआ।


बाल अर्पित करने की परंपरा का आरंभ

इस तरह शुरू हुई बाल अर्पित करने की परंपरा

विवाह के दौरान कुछ रस्मों को पूरा करने के लिए भगवान विष्णु ने कुबेर जी से धन उधार लिया था। उन्होंने कहा था कि वे कलयुग के अंत तक ब्याज सहित कर्ज चुका देंगे। इसी कारण भक्त भगवान विष्णु के कर्ज चुकाने के लिए दान करते हैं, जिसमें बालों का दान भी शामिल है। मान्यता है कि जो भी भक्त मंदिर में बाल अर्पित करता है, उसे भगवान 10 गुना धन लौटाते हैं।