तालिबानी झंडे की चर्चा: अफगान विदेश मंत्री का बयान
तालिबानी झंडे का महत्व
अफगानिस्तान में तालिबानी सरकार का झंडा
अफगानिस्तान के विदेश मंत्री आमिर खान मुत्ताकी हाल ही में भारत के दौरे पर तालिबानी झंडे को लेकर चर्चा में रहे। अफगान दूतावास में इस झंडे की अनुपस्थिति पर उनके और दूतावास के कर्मचारियों के बीच बहस हुई। इसके बाद, उन्होंने एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में छोटा सफेद झंडा प्रदर्शित किया। रविवार को, विदेश मंत्री ने दिल्ली स्थित अफगान दूतावास में एक बार फिर प्रेस कॉन्फ्रेंस की, जिसमें उनके पीछे बड़ा सफेद तालिबानी झंडा दिखाई दिया। मेज पर भी एक सफेद झंडा रखा था। इस दौरान, एक सवाल के जवाब में उन्होंने कहा कि हमने इसी झंडे के नीचे लड़ाई की और जीत हासिल की।
झंडे पर लिखी गई बातें
तालिबान ने अपने अस्तित्व के दौरान इस सफेद झंडे का उपयोग किया है। यह झंडा अमेरिका के साथ युद्ध के दौरान प्रमुखता से सामने आया। जब तालिबान ने अफगानिस्तान को स्वतंत्र कराया, तो उन्होंने पुराने झंडे को हटाकर इसे स्थापित किया। इस झंडे पर बड़े अक्षरों में लिखा है, ‘ला इलाह इला अल्लाह, मुहम्मद रसूल अल्लाह’, जिसका अर्थ है ‘अल्लाह के सिवा कोई माबूद नहीं और मुहम्मद अल्लाह के रसूल हैं।’
अफगानिस्तान के झंडे में बदलाव
अफगानिस्तान का झंडा 1901 से लेकर 2021 तक कुल 18 बार बदला जा चुका है। पहले झंडे में अफगान शासक हबीबुल्लाह खान ने अपने पिता के काले झंडे में एक मुहर लगाई थी, जिसमें एक मस्जिद और पार करती हुई तलवारें थीं। समय के साथ, झंडे में कई बदलाव हुए हैं।
तालिबान का काबुल पर कब्जा
1994 में रब्बानी के शासन के खिलाफ असंतोष के चलते तालिबान ने जनवरी में तख्तापलट का प्रयास किया, जिससे उनकी सरकार कमजोर हुई। तालिबान ने अक्टूबर में शांति का वादा करते हुए दक्षिण-पश्चिम हिस्से पर कब्जा कर लिया। 1996 में, तालिबान ने काबुल पर कब्जा कर अफगानिस्तान को इस्लामी अमीरात घोषित किया। शुरुआत में झंडा सफेद रंग का था, फिर एक साल बाद काले रंग में शहादा लिखा गया।
हामिद करजई का झंडा परिवर्तन
2002 में, हामिद करजई ने अमेरिका समर्थित सरकार का नेतृत्व किया और इस दौरान झंडा बदला गया। 2013 में फिर से बदलाव हुआ, और 2014 में अशरफ गनी राष्ट्रपति बने। 2019 में, अमेरिका और तालिबान ने 18 साल के युद्ध के बाद शांति समझौते पर हस्ताक्षर किए।
तालिबानी झंडा 2021 से
2021 में, अमेरिका और नाटो के सैनिकों ने अफगानिस्तान से वापसी शुरू की। तालिबान ने तेजी से देश पर कब्जा करना शुरू किया और काबुल तक पहुंच गया। इसी दिन राष्ट्रपति अशरफ गनी देश छोड़कर भाग गए। अब तालिबान का सफेद झंडा पूरे अफगानिस्तान में लहराया जा रहा है।