तारिक रहमान की बांग्लादेश वापसी: राजनीतिक परिदृश्य में नया मोड़
मिट्टी को माथे से लगाकर किया स्वागत
17 वर्षों के बाद, खालिदा जिया के बेटे और बांग्लादेश नेशनलिस्ट पार्टी (BNP) के कार्यकारी अध्यक्ष तारिक रहमान अंततः बांग्लादेश लौट आए हैं। जैसे ही उन्होंने ढाका की धरती पर कदम रखा, उन्होंने अपने जूते उतार दिए। कुछ क्षणों के लिए रुके, ज़मीन की मिट्टी को उठाया और उसे अपने माथे से लगाया। यह दृश्य किसी राजनीतिक कार्यक्रम की तरह प्रतीत हो रहा था, जिससे यह संदेश गया कि तारिक आगामी चुनावों में एक विकल्प के रूप में उभर सकते हैं। एयरपोर्ट पर BNP के वरिष्ठ नेता और लगभग एक लाख कार्यकर्ता पहले से मौजूद थे, जिनमें से कुछ पार्टी का झंडा लिए हुए थे और कुछ खालिदा जिया की तस्वीर थामे खड़े थे।
तारिक की वापसी का महत्व
तारिक रहमान ने 2008 में भ्रष्टाचार के मामलों के चलते देश छोड़ दिया था, जब शेख हसीना की सरकार सत्ता में थी और BNP पर लगातार दबाव था। अब, अवामी लीग पर प्रतिबंध है और देश में एक अंतरिम सरकार है, जबकि आम चुनाव 12 फरवरी 2026 को होने वाले हैं। इस संदर्भ में, उनकी वापसी को केवल घर लौटने के रूप में नहीं देखा जा सकता।
खालिदा जिया की स्थिति और नेतृत्व की जिम्मेदारी
BNP की प्रमुख खालिदा जिया, जो 80 वर्ष की हैं, गंभीर रूप से बीमार हैं और वर्तमान में अस्पताल में भर्ती हैं। पार्टी के भीतर चर्चा शुरू हो गई है कि चुनाव की अगुवाई तारिक रहमान करेंगे। BNP ने यह स्पष्ट किया है कि तारिक बोगुरा-6 सीट से चुनाव लड़ेंगे, वही सीट जहां से खालिदा जिया सांसद रह चुकी हैं।
चुनावी चुनौती का सामना
अवामी लीग के बाहर होने के बाद, BNP सबसे बड़ी राजनीतिक ताकत बनकर उभरी है, लेकिन मुकाबला पूरी तरह से एकतरफा नहीं है। नेशनल सिटिजन पार्टी (NCP), जो छात्र आंदोलन से निकली है, और जमात-ए-इस्लामी, जिसका बैन हट चुका है, भी चुनावी मैदान में हैं। हालांकि, आंकड़ों के अनुसार, जमात अकेले सत्ता में आने की स्थिति में नहीं है। अंतरराष्ट्रीय मामलों के विशेषज्ञों का मानना है कि यदि तारिक रहमान सत्ता में आते हैं, तो भारत-बांग्लादेश संबंधों में नई चुनौतियाँ उत्पन्न हो सकती हैं।