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तमिलनाडु सरकार ने राज्यपाल के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की

तमिलनाडु सरकार ने राज्यपाल के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की है, जिसमें कलैगनार विश्वविद्यालय विधेयक को राष्ट्रपति की मंजूरी के लिए आरक्षित करने के निर्णय को चुनौती दी गई है। यह विवाद राज्यपाल और सरकार के बीच लंबे समय से चल रहा है, जिसमें मुख्यमंत्री स्टालिन ने राज्यपाल पर महत्वपूर्ण शिक्षा विधेयकों को लटकाने का आरोप लगाया है। सुप्रीम कोर्ट ने पहले भी राज्य सरकार के पक्ष में फैसला सुनाया था, लेकिन राज्यपाल ने अभी तक विधेयक को मंजूरी नहीं दी है। जानें इस मामले की पूरी जानकारी।
 

राज्यपाल और सरकार के बीच बढ़ता विवाद

राज्‍यपाल और सरकार आमने-सामने

तमिलनाडु में राजनीतिक परिदृश्य में राज्यपाल और सरकार के बीच विवाद अक्सर देखने को मिलता है। हाल ही में, कलैगनार विश्वविद्यालय विधेयक को लेकर सरकार ने एक बार फिर राज्यपाल के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की है। इस याचिका में राज्यपाल के उस निर्णय को चुनौती दी गई है, जिसमें उन्होंने विधेयक को राष्ट्रपति की मंजूरी के लिए आरक्षित किया था।

तमिलनाडु सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की है, जिसमें राज्यपाल के फैसले को चुनौती दी गई है। इससे पहले, सुप्रीम कोर्ट ने राज्यपाल आर. एन. रवि को भी फटकार लगाई थी।

विवाद का कारण क्या है?

राज्य सरकार और राज्यपाल के बीच यह टकराव नया नहीं है। यह विवाद मुख्य रूप से विधेयकों की स्वीकृति से संबंधित है। विवाद की जड़ यूनिवर्सिटी वाइस-चांसलर विधेयक है, जिसमें राज्य सरकार ने कुलपति की नियुक्ति में बदलाव का प्रस्ताव रखा था। इस प्रस्ताव के अनुसार, कुलपति की नियुक्ति अब मुख्यमंत्री के हाथों में होगी। हालांकि, राज्यपाल ने इस विधेयक को मंजूरी नहीं दी।

इसके बाद, आर. एन. रवि ने एक समिति का गठन किया, जिसका कार्य वाइस-चांसलर की नियुक्ति करना था। राज्य सरकार ने इस समिति का विरोध किया और मामला सुप्रीम कोर्ट तक पहुंचा। सुप्रीम कोर्ट ने राज्य सरकार के पक्ष में निर्णय सुनाया था। अब, इसी विवाद के चलते राज्य सरकार ने फिर से सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया है।

सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बावजूद स्थिति में कोई बदलाव नहीं

हालांकि, सुप्रीम कोर्ट ने राज्य सरकार के पक्ष में फैसला सुनाया था, लेकिन राज्यपाल ने अभी तक विधेयक को मंजूरी नहीं दी है। कोर्ट ने स्पष्ट किया था कि राज्यपाल को एक महीने या अधिकतम तीन महीने के भीतर विधेयक पर निर्णय लेना होगा। सुप्रीम कोर्ट के इस आदेश के बावजूद, राज्यपाल ने अपनी स्थिति स्पष्ट नहीं की है। इस पर पहले भी मुख्यमंत्री स्टालिन ने निराशा व्यक्त की थी, यह कहते हुए कि राज्यपाल महत्वपूर्ण शिक्षा विधेयकों को लटकाए हुए हैं।