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तमिलनाडु सरकार को उच्चतम न्यायालय का निर्देश: हलफनामा दाखिल करें

उच्चतम न्यायालय ने तमिलनाडु सरकार को निर्देश दिया है कि वह एक हलफनामा प्रस्तुत करे, जिसमें यह स्पष्ट किया जाए कि द्रमुक के किसी भी मंत्री या विधायक के खिलाफ अभियोजन की अनुमति वापस नहीं ली गई है। यह आदेश एक जनहित याचिका के संदर्भ में दिया गया है, जिसमें आरोप लगाया गया है कि कुछ मंत्रियों के खिलाफ अभियोजन की मंजूरी राजनीतिक कारणों से वापस ली गई थी। मामले की अगली सुनवाई 17 सितंबर को होगी।
 

उच्चतम न्यायालय का आदेश

उच्चतम न्यायालय ने बुधवार को तमिलनाडु सरकार को निर्देश दिया कि वह एक हलफनामा प्रस्तुत करे, जिसमें यह स्पष्ट किया जाए कि सत्तारूढ़ द्रविड़ मुनेत्र कषगम (द्रमुक) के किसी भी वर्तमान या पूर्व मंत्री या विधायक के खिलाफ ऐसा कोई मामला नहीं है, जिसमें पहले अभियोजन की अनुमति दी गई हो लेकिन बाद में आपराधिक मामले वापस ले लिए गए हों।


न्यायमूर्ति सूर्यकांत, न्यायमूर्ति उज्जल भुइयां और न्यायमूर्ति एन कोटिश्वर सिंह की पीठ ने राज्य सरकार से यह हलफनामा दाखिल करने को कहा है, जो तमिलनाडु में मौजूदा मंत्रियों के खिलाफ लंबित मुकदमों को राज्य से बाहर स्थानांतरित करने के लिए दायर जनहित याचिका से संबंधित है।


पीठ ने कहा, ‘‘वरिष्ठ अतिरिक्त महाधिवक्ता ने एक विशेष हलफनामा दाखिल करने के लिए दो सप्ताह का समय मांगा है। उन्हें यह बताने के लिए समय दिया गया है कि सत्तारूढ़ राजनीतिक दल के किसी भी वर्तमान या पूर्व मंत्री या विधायक के खिलाफ कोई मामला नहीं है, जहां पहले अभियोजन की अनुमति दी गई थी, लेकिन जांच को अंतिम निष्कर्ष पर ले जाने से पहले ही, ऐसी सहमति वापस ले ली गई और इस प्रकार आपराधिक मामले वापस ले लिए गए।’’


चेन्नई के वकील करुप्पैया गांधी द्वारा दायर जनहित याचिका में यह तर्क दिया गया है कि कुछ राज्य मंत्रियों और नेताओं के अभियोजन की अनुमति जांच एजेंसियों ने राजनीतिक कारणों से वापस ले ली थी। शीर्ष अदालत ने मामले की अगली सुनवाई 17 सितंबर को निर्धारित की है।