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तंबाकू उत्पादों पर जीएसटी सेस की समयसीमा बढ़ी, जनवरी 2026 तक लागू रहेगा

तंबाकू और उससे जुड़े उत्पादों पर जीएसटी सेस की समयसीमा अब जनवरी 2026 तक बढ़ा दी गई है। पहले यह नवंबर 2025 तक लागू था। इस निर्णय का कारण बकाया क्षतिपूर्ति संबंधी ऋण का भुगतान न होना है। जीएसटी रिफॉर्म के तहत कई वस्तुओं पर सेस समाप्त कर दिया गया है, लेकिन तंबाकू उत्पादों पर यह जारी रहेगा। जानें इस सेस के प्रभाव और जीएसटी काउंसिल के निर्णय के बारे में।
 

तंबाकू उत्पादों पर सेस की नई समयसीमा

तंबाकू और उससे जुड़े उत्पादों का उपयोग करने वालों के लिए एक नई सूचना आई है। रिपोर्ट के अनुसार, इन उत्पादों पर जीएसटी के साथ अतिरिक्त सेस अब जनवरी 2026 तक लागू रहेगा। पहले यह समयसीमा नवंबर 2025 तक निर्धारित की गई थी। जानकारी के अनुसार, बकाया क्षतिपूर्ति संबंधी ऋण का भुगतान अभी तक पूरा नहीं हुआ है, जिसके चलते सेस को दो महीने और बढ़ाने का निर्णय लिया गया है। हालांकि, सरकार ने जीएसटी रिफॉर्म के तहत अन्य सभी प्रकार के सेस को समाप्त कर दिया है।


सेस राजस्व में कमी का सामना

जीएसटी रिफॉर्म के प्रभावी होने के बाद, जो 22 सितंबर 2025 से लागू हुआ, कई वस्तुओं पर जीएसटी कंपंसेशन सेस को समाप्त कर दिया गया। लेकिन तंबाकू और उससे संबंधित उत्पादों पर यह सेस जारी रखा गया है। वर्तमान में, सेस केवल तंबाकू उत्पादों पर लागू है, जिससे सेस संग्रह सितंबर 2025 में 11,652 करोड़ रुपए से घटकर अक्टूबर 2025 में 7,812 करोड़ रुपए रह गया है, जो कि 33 प्रतिशत की कमी दर्शाता है। एक अधिकारी ने बताया कि लोन और ब्याज के पुनर्भुगतान के लिए और समय की आवश्यकता हो सकती है, लेकिन यह जनवरी 2026 तक पूरा हो जाएगा।


जीएसटी काउंसिल का निर्णय

3 सितंबर को, जीएसटी काउंसिल ने यह निर्णय लिया कि पान मसाला, गुटखा, सिगरेट, चबाने वाले तंबाकू उत्पाद जैसे ज़र्दा, अनिर्मित तंबाकू और बीड़ी पर मौजूदा जीएसटी और कंपंसेशन सेस की दरें लागू रहेंगी, जब तक कि कंपंसेशन सेस अकाउंट के तहत लोन और ब्याज का भुगतान नहीं हो जाता। अधिकारियों ने संकेत दिया है कि सेस समाप्त होने के बाद इन उत्पादों पर एक विशेष शुल्क लगाया जाएगा, ताकि इन पर प्रभावी टैक्स दर बनी रहे। जीएसटी काउंसिल सेस पर अंतिम निर्णय लेगी, जिसमें तंबाकू उत्पादों के लिए समाप्ति तिथि भी शामिल होगी।


सेस का इतिहास

जुलाई 2017 में जीएसटी लागू होने के बाद, संभावित राजस्व घाटे की भरपाई के लिए यह सेस 5 वर्षों के लिए लागू किया गया था। जुलाई 2022 से, यह सेस राज्यों को नहीं मिला है, बल्कि इसका उपयोग केंद्र द्वारा वित्त वर्ष 2021 और 2022 में लिए गए 2.69 लाख करोड़ रुपए के ऋणों को चुकाने के लिए किया गया है, ताकि राज्यों को गारंटीड राजस्व व्यवस्था के तहत क्षतिपूर्ति की जा सके।