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डॉक्टरों के आतंकवाद में शामिल होने की बढ़ती चिंताएँ

हाल के दिनों में कुछ डॉक्टरों के आतंकवाद से जुड़े होने की खबरें सामने आई हैं, जिससे समाज में चिंता बढ़ गई है। एसएसपी जीवी संदीप चक्रवर्ती ने एक साधारण पोस्टर के माध्यम से एक व्हाइट-कॉलर आतंक मॉड्यूल का भंडाफोड़ किया। इस मामले में शामिल मौलवी इरफ़ान अहमद और अन्य संदिग्धों की गिरफ्तारी ने यह दर्शाया है कि आतंकवाद अब केवल बंदूकधारी युवाओं तक सीमित नहीं है। यह एक नई चुनौती है, जिसमें समाज के सम्मानित पेशों का भी दुरुपयोग हो रहा है। एसएसपी चक्रवर्ती की सूझबूझ और आधुनिक तकनीक से की गई जांच ने इस खतरे को उजागर किया है।
 

सफेद कोट में छिपा खतरा

हाल ही में कुछ चिकित्सकों के आतंकवाद से जुड़े होने की खबरें चर्चा का विषय बनी हुई हैं, जिससे यह सवाल उठता है कि जब चिकित्सा क्षेत्र के लोग इस तरह के गंभीर अपराधों में लिप्त पाए जाते हैं, तो समाज की दिशा क्या होगी? इस मामले का खुलासा एक डॉक्टर से पुलिस अधिकारी बने एसएसपी जीवी संदीप चक्रवर्ती ने किया, जिन्होंने एक साधारण पोस्टर में वह देखा जो अन्य लोग नजरअंदाज कर गए।


जैश-ए-मोहम्मद का धमकी भरा पोस्टर

19 अक्टूबर की रात, श्रीनगर के नौगाम-बनपोरा क्षेत्र में जैश-ए-मोहम्मद के धमकी भरे पोस्टर दिखाई दिए, जिनमें सुरक्षा बलों को गंभीर परिणाम भुगतने की चेतावनी दी गई थी। जबकि आम लोग इसे नजरअंदाज कर रहे थे, एसएसपी चक्रवर्ती ने इसे गंभीरता से लिया और सुबह होते-होते उन्होंने संबंधित थाने में मामला दर्ज करने का आदेश दिया।


आतंक के नेटवर्क का भंडाफोड़

जांच के दौरान, सीसीटीवी फुटेज में तीन संदिग्ध युवक नजर आए, जिन्हें तुरंत हिरासत में लिया गया। पूछताछ के दौरान, मौलवी इरफ़ान अहमद का नाम सामने आया, जो शोपियां का निवासी था। पुलिस ने उसके घर पर छापा मारा और उसके कनेक्शन की जांच की, जो केवल कश्मीर तक सीमित नहीं थे, बल्कि हरियाणा और यूपी तक फैले हुए थे।


एक उच्च शिक्षित आतंक मॉड्यूल का खुलासा

जांच ने एक उच्च शिक्षित, क्रॉस-स्टेट व्हाइट-कॉलर आतंक मॉड्यूल का पर्दाफाश किया, जिसमें तीन स्थानीय युवक भी शामिल थे। एक वरिष्ठ अधिकारी के अनुसार, यह जांच आतंक की हर कड़ी को उजागर करने में सफल रही। पूछताछ में कई नए लिंक सामने आए और आईईडी बनाने से जुड़े सामान भी बरामद हुए।


एसएसपी चक्रवर्ती की पहचान

एसएसपी चक्रवर्ती, जो 2014 बैच के आईपीएस अधिकारी हैं, मूलतः आंध्र प्रदेश के कल्लूर गाँव से हैं। उन्होंने मेडिकल सेवा छोड़कर पुलिस सेवा में कदम रखा और इस वर्ष उन्हें राष्ट्रपति पुलिस पदक से सम्मानित किया गया।


आतंकवाद का नया चेहरा

कश्मीर में आतंकवाद का इतिहास पुराना है, लेकिन इसका रूप हर बार नया होता है। इस बार जो सामने आया है, वह अधिक खतरनाक है— व्हाइट-कॉलर आतंक, जो ज्ञान और प्रतिष्ठा की आड़ में सक्रिय है। यह एक ऐसा खतरा है जो समाज के भीतर गहराई से धंसा हुआ है।


समाज में आतंक का घुसपैठ

आतंकवादी संगठन अब केवल बंदूकधारी युवाओं तक सीमित नहीं हैं, बल्कि वे समाज के सम्मानित पेशों में घुसपैठ कर रहे हैं। मौलवी इरफान अहमद का मामला इस पैटर्न की पुष्टि करता है, जिसने 2020 से नौगाम मस्जिद में लोगों का विश्वास जीता।


आधुनिक तकनीक से आतंकवाद का मुकाबला

एसएसपी चक्रवर्ती जैसे अधिकारी उन अदृश्य तत्वों को पहचानने में सक्षम हैं जिन्हें आमतौर पर नजरअंदाज किया जाता है। उनकी मेडिकल पृष्ठभूमि ने उन्हें डिटेल-ओरिएंटेड बनाया है। यह जांच एक चेतावनी और उम्मीद दोनों है, यह दर्शाते हुए कि आतंकवाद का मुकाबला सूझबूझ और आधुनिक तकनीक से किया जा सकता है।