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डॉ. होमी भाभा: भारतीय परमाणु कार्यक्रम के जनक की कहानी

डॉ. होमी भाभा, भारतीय परमाणु कार्यक्रम के जनक, का जन्म 30 अक्टूबर 1909 को मुंबई में हुआ। उनकी शिक्षा और शोध कार्य ने भारत को परमाणु शक्ति में अग्रणी बना दिया। जानें उनके जीवन की महत्वपूर्ण घटनाओं और योगदान के बारे में।
 

डॉ. होमी भाभा का प्रारंभिक जीवन


डॉ. होमी जहांगीर भाभा का जन्म 30 अक्टूबर 1909 को मुंबई में एक पारसी परिवार में हुआ। उनके पिता, जहांगीर भाभा, एक प्रतिष्ठित वकील थे। होमी ने अपनी प्रारंभिक शिक्षा कैथेड्रल स्कूल से प्राप्त की और आगे की पढ़ाई जॉन केनन स्कूल में की। भौतिक विज्ञान और गणित के प्रति उनकी गहरी रुचि बचपन से ही थी।


भारतीय परमाणु कार्यक्रम का विकास

भारत का परमाणु कार्यक्रम विश्व के सबसे उन्नत और सफल कार्यक्रमों में से एक माना जाता है। आज भारत सैन्य और असैन्य परमाणु शक्ति के क्षेत्र में अग्रणी देशों में शामिल है। यह सब डॉ. होमी भाभा के सपनों का परिणाम है, जिन्होंने इस कार्यक्रम की नींव रखी थी।


डॉ. भाभा, जो परमाणु भौतिकी के क्षेत्र में एक प्रमुख नाम थे, ने भारत के परमाणु ऊर्जा कार्यक्रम की परिकल्पना की और देश को वैज्ञानिक अनुसंधान में आगे बढ़ने का मार्ग दिखाया।


शिक्षा और शोध कार्य

डॉ. भाभा ने अपनी 12वीं कक्षा की पढ़ाई एल्फिस्टन कॉलेज, मुंबई से की और फिर रॉयल इंस्टिट्यूट ऑफ साइंस से बीएससी की डिग्री प्राप्त की। 1927 में, उन्होंने आगे की पढ़ाई के लिए इंग्लैंड का रुख किया और कैम्ब्रिज विश्वविद्यालय से मैकेनिकल इंजीनियरिंग की डिग्री हासिल की।


1934 में, उन्होंने कैम्ब्रिज से डॉक्टरेट की उपाधि प्राप्त की। भाभा ने जर्मनी में कॉस्मिक किरणों पर शोध किया और कई प्रयोग किए। उनके शोध पत्र "The Absorption of Cosmic Radiation" ने उन्हें 1934 में 'आइजैक न्यूटन स्टूडेंटशिप' से भी सम्मानित किया।


भारत में योगदान

अपनी शिक्षा पूरी करने के बाद, डॉ. भाभा 1939 में भारत लौट आए। भारत आने के बाद, वे बेंगलुरु के इंडियन इंस्टिट्यूट ऑफ साइंस से जुड़े और 1940 में रीडर के पद पर नियुक्त हुए।