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डेंगू के बढ़ते मामलों से सावधान: जानें लक्षण और बचाव के उपाय

अक्टूबर में डेंगू के मामलों में तेजी से वृद्धि हो रही है, जिसमें एक उच्च पदस्थ अधिकारी की मृत्यु भी शामिल है। जानें डेंगू के खतरनाक लक्षण, जैसे डेंगू शॉक सिंड्रोम, और इससे बचने के उपाय। विशेषज्ञों से मिली जानकारी के अनुसार, बुखार के शुरुआती लक्षणों को नजरअंदाज न करें और उचित जांच कराएं। इस लेख में डेंगू से संबंधित महत्वपूर्ण जानकारी और सावधानियों पर चर्चा की गई है।
 

डेंगू के मामलों में वृद्धि

अक्टूबर का महीना आते ही कई राज्यों में डेंगू के मामलों में तेजी से वृद्धि देखी जा रही है। हाल ही में नोएडा प्राधिकरण के डीजीएम आशीष भाटी की डेंगू से मृत्यु की खबर आई है। आमतौर पर, अधिकांश मरीज कुछ दिनों में ठीक हो जाते हैं, लेकिन कुछ मामलों में यह बीमारी गंभीर हो सकती है और जानलेवा बन सकती है। डेंगू के खतरनाक लक्षणों और इससे बचाव के उपायों के बारे में जानकारी प्राप्त करने के लिए हमने दिल्ली एमसीडी के डॉ. अजय कुमार और गाजियाबाद के जिला अस्पताल के डॉ. एके विश्वकर्मा से बातचीत की।


डेंगू के लक्षण और शॉक सिंड्रोम

डॉ. अजय के अनुसार, डेंगू हर व्यक्ति के लिए खतरनाक नहीं होता। लगभग 90 प्रतिशत लोगों में इसके लक्षण हल्के होते हैं और वे जल्दी ठीक हो जाते हैं। हालांकि, कुछ मरीजों को डेंगू शॉक सिंड्रोम का सामना करना पड़ सकता है, जो कि एक गंभीर स्थिति है। आमतौर पर, प्लेटलेट्स का स्तर 20,000 से कम होना खतरनाक माना जाता है, लेकिन शॉक सिंड्रोम इससे भी अधिक गंभीर हो सकता है। यह तब होता है जब वायरस रक्त वाहिकाओं को कमजोर कर देता है, जिससे रक्तचाप अचानक गिर सकता है और अंगों तक रक्त की आपूर्ति रुक जाती है।


डेंगू शॉक सिंड्रोम के लक्षण

डॉ. अजय बताते हैं कि डेंगू शॉक सिंड्रोम अचानक नहीं होता। शुरुआत में हल्का बुखार होता है, जिसे लोग नजरअंदाज कर देते हैं। बुखार धीरे-धीरे बढ़ता है और तीन से चार दिन तक बना रहता है। इसके साथ बेचैनी, ठंडापन, पेट दर्द, उल्टियां और कमजोरी जैसे लक्षण दिखाई देते हैं। यदि इस दौरान उचित इलाज नहीं किया गया, तो रक्तचाप गिरने लगता है और नाक या मसूड़ों से खून आ सकता है।


इलाज और सावधानियां

डॉ. एके विश्वकर्मा के अनुसार, यदि किसी व्यक्ति को तीन दिन से अधिक बुखार है, तो उसे डेंगू की जांच करानी चाहिए और सीबीसी टेस्ट भी करवाना चाहिए। रक्तचाप और प्लेटलेट्स की नियमित निगरानी आवश्यक है। स्वयं से कोई दवा, विशेषकर पेनकिलर या एस्पिरिन, न लें। बुखार के दौरान शरीर में पानी की कमी न होने दें और दिन में कम से कम आठ गिलास पानी पिएं।


बचाव के उपाय

घर और आसपास पानी जमा न होने दें।


मच्छरदानी का उपयोग करें और ढीले कपड़े पहनें।


डेंगू के शुरुआती लक्षण दिखते ही डॉक्टर से संपर्क करें।


घरेलू नुस्खों के फेर में न पड़ें।