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डायबिटीज और हड्डियों की सेहत: जानें लक्षण और बचाव के उपाय

डायबिटीज का प्रभाव केवल रक्त शुगर तक सीमित नहीं है, बल्कि यह हड्डियों की सेहत को भी प्रभावित कर सकता है। विशेषज्ञों के अनुसार, डायबिटीज से ग्रस्त व्यक्तियों में हड्डियों और जोड़ों की बीमारियों का खतरा बढ़ जाता है। इस लेख में, हम डायबिटीज के कारण हड्डियों की कमजोरी, इसके लक्षण और इससे बचाव के उपायों पर चर्चा करेंगे। जानें कैसे आप अपनी हड्डियों को सुरक्षित रख सकते हैं और किस प्रकार के लक्षणों पर ध्यान देना चाहिए।
 

डायबिटीज का हड्डियों पर प्रभाव

डायबिटीज का हड्डियों पर असरImage Credit source: Getty images


यदि आपको डायबिटीज है और यह नियंत्रित नहीं है, तो इसका प्रभाव आपके पूरे शरीर पर पड़ सकता है। यह न केवल किडनी, हृदय और आंखों को प्रभावित करता है, बल्कि हड्डियों की सेहत पर भी नकारात्मक असर डाल सकता है। विशेषज्ञों का कहना है कि डायबिटीज से ग्रस्त व्यक्तियों में हड्डियों और जोड़ों की बीमारियों का खतरा बढ़ जाता है। कुछ मामलों में, यह न्यूरोपैथिक आर्थ्रोपैथी का कारण भी बन सकता है, जो हड्डियों की एक गंभीर स्थिति है।


दिल्ली के एंडोक्रिनोलॉजी विभाग में एचओडी प्रोफेसर डॉ. निखिल टंडन के अनुसार, डायबिटीज के कुछ मरीजों में चारकोट जोड़ की समस्या देखी जाती है। यह स्थिति तब उत्पन्न होती है जब नर्वस सिस्टम में खराबी के कारण जोड़ प्रभावित होता है। यह डायबिटीज की एक सामान्य जटिलता है, जो जोड़ों में सुन्नता और झुनझुनी का कारण बनती है। यदि डायबिटीज के मरीजों को ये लक्षण महसूस होते हैं, तो उन्हें तुरंत डॉक्टर से संपर्क करना चाहिए।


डॉ. निखिल बताते हैं कि सभी डायबिटीज के मरीजों को यह समस्या नहीं होती, लेकिन जिनका शुगर स्तर नियंत्रित नहीं रहता, उन्हें इस बीमारी का खतरा अधिक होता है। विशेष रूप से 45 वर्ष से अधिक आयु के व्यक्तियों में यह जोखिम बढ़ जाता है।


डायबिटीज से हड्डियाँ कमजोर क्यों होती हैं?

डॉ. निखिल टंडन के अनुसार, जब रक्त शुगर का स्तर अधिक होता है, तो Osteoblast कोशिकाएं कमजोर हो जाती हैं। ये कोशिकाएं नई हड्डियों का निर्माण करती हैं। उच्च ग्लूकोज स्तर इनकी गतिविधि को कम कर देता है, जिससे हड्डियों का निर्माण धीमा हो जाता है और हड्डियाँ कमजोर हो जाती हैं। लंबे समय तक उच्च शुगर स्तर रहने से क्रॉनिक इन्फ्लेमेशन और नर्व डैमेज का खतरा भी बढ़ता है।


लक्षणों पर ध्यान दें

हल्की चोट में बार-बार दर्द होना,


हल्की चोट में फ्रैक्चर होना,


चोट का जल्दी न भरना,


जोड़ों में लगातार दर्द रहना।


इस बीमारी से बचाव के उपाय

नियमित व्यायाम करें,


डॉक्टर की सलाह पर विटामिन डी और कैल्शियम के सप्लीमेंट लें,


धूम्रपान और शराब से दूर रहें,


संतुलित आहार का पालन करें।