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ठाणे में सड़क दुर्घटना में मुआवजे का आदेश, परिवार को मिले 62.19 लाख रुपये

महाराष्ट्र के ठाणे जिले में एक सड़क दुर्घटना में मारे गए 39 वर्षीय व्यक्ति के परिवार को 62.19 लाख रुपये का मुआवजा मिला है। न्यायाधिकरण ने टैंकर चालक की लापरवाही को मुख्य कारण माना, जबकि मृतक की भी कुछ लापरवाही थी। जानें इस मामले की पूरी जानकारी और न्यायाधिकरण के निर्णय के बारे में।
 

महाराष्ट्र में सड़क दुर्घटना का मामला

महाराष्ट्र के ठाणे जिले में मोटर दुर्घटना दावा न्यायाधिकरण (एमएसीटी) ने 2019 में एक टैंकर के कारण हुई सड़क दुर्घटना में मारे गए 39 वर्षीय व्यक्ति के परिवार को 62.19 लाख रुपये का मुआवजा देने का आदेश दिया है।


इस आदेश को एमएसीटी के सदस्य आर वी मोहिते ने जारी किया, जिसमें टैंकर के मालिक और बीमाकर्ता कंपनी 'द न्यू इंडिया एश्योरेंस कंपनी' को याचिका की तारीख से नौ प्रतिशत ब्याज के साथ मुआवजा देने का निर्देश दिया गया। यह आदेश 11 सितंबर को पारित किया गया था और इसकी प्रति रविवार को उपलब्ध कराई गई।


मृतक के परिवार ने पहले एक करोड़ रुपये के मुआवजे की मांग की थी। पीड़ित मोहन शिरोशे 10 सितंबर, 2019 को कल्याण-नगर राजमार्ग पर कार चला रहे थे, तभी दूध ले जा रहा एक टैंकर तेज गति से गलत दिशा में मुड़कर उनके वाहन से टकरा गया। इस टक्कर के कारण उनकी कार पलट गई और एक अन्य वाहन से भी टकरा गई।


टैंकर का चालक घटनास्थल से भाग निकला, जबकि शिरोशे को अस्पताल ले जाया गया, जहां उनकी मृत्यु हो गई। याचिकाकर्ताओं ने, जिनका प्रतिनिधित्व अधिवक्ता पी.एम. टिल्लू ने किया, यह तर्क दिया कि दुर्घटना टैंकर चालक की लापरवाही के कारण हुई।


बीमाकर्ता, जिसका प्रतिनिधित्व अधिवक्ता के.वी. पुजारी ने किया, ने दावे का विरोध करते हुए कहा कि टैंकर चालक के पास वैध लाइसेंस और परमिट नहीं था, और मृतक की भी लापरवाही थी।


हालांकि, न्यायाधिकरण ने यह पाया कि टैंकर ही टक्कर का मुख्य कारण था, लेकिन मृतक की ओर से भी कुछ हद तक लापरवाही बरती गई थी। न्यायाधिकरण ने कहा, 'मुआवजे के आकलन के लिए टैंकर चालक की लापरवाही 80 प्रतिशत और मृतक की लापरवाही 20 प्रतिशत आंकी गई है।'


न्यायाधिकरण ने बीमा कंपनी के पॉलिसी शर्तों के उल्लंघन के दावे को भी खारिज कर दिया और कहा कि बीमा कंपनी यह साबित नहीं कर पाई कि टैंकर चालक के पास वैध लाइसेंस या परमिट नहीं था।