ट्रंप के नए टैरिफ से भारतीय फार्मा उद्योग में चिंता
अमेरिका के नए टैरिफ समझौतों का प्रभाव
अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप द्वारा हाल ही में घोषित नए टैरिफ समझौतों ने वैश्विक फार्मास्युटिकल बाजार में चिंता का माहौल पैदा कर दिया है। जापान के साथ समझौते के बाद, ट्रंप ने यूरोपीय संघ (EU) के साथ भी एक व्यापार समझौता किया है, जिसमें EU से आयातित दवाओं पर 15% शुल्क लगाया जाएगा। एक रिपोर्ट के अनुसार, यह टैरिफ नीति भारतीय फार्मा कंपनियों के लिए भी एक गंभीर चुनौती बन सकती है, खासकर जब अमेरिका भारत की दवाओं का सबसे बड़ा बाजार है।
जनरिक दवाओं की कीमतों में गिरावट
भारत की प्रमुख दवा कंपनियों, जैसे सिप्ला और डॉ. रेड्डीज लैबोरेटरीज, ने जून 2025 की तिमाही में अमेरिका से होने वाली बिक्री में कमी देखी है। इसका मुख्य कारण कैंसर रोधी जनरिक दवा रेवलिमिड की कीमतों में गिरावट है। कंपनियों को उम्मीद है कि नई दवाओं के लॉन्च और मौजूदा उत्पादों के विस्तार से इस प्रभाव को कम किया जा सकेगा, लेकिन टैरिफ का खतरा बढ़ता जा रहा है।
टैरिफ का भारतीय कंपनियों पर प्रभाव
यूरोपीय कंपनियां महंगी इनोवेटिव दवाएं निर्यात करती हैं, इसलिए वे 15% टैरिफ का बोझ सहन कर सकती हैं। लेकिन भारतीय कंपनियां सस्ती जनरिक दवाएं बनाती हैं, जिनका मुनाफा पहले से ही सीमित है। यदि इन पर भी टैरिफ लगाया गया, तो लागत में वृद्धि होगी और अमेरिका में उनकी प्रतिस्पर्धा कम हो जाएगी। वर्तमान में, अमेरिका भारत से औषधियों का सबसे बड़ा आयातक है। यदि भारत की दवाओं पर भी टैरिफ लागू होते हैं, तो पूरा एक्सपोर्ट मॉडल प्रभावित हो सकता है।
अमेरिका के अन्य देशों के साथ समझौते
अमेरिका ने जापान और EU के बाद अब ब्रिटेन के साथ भी एक समझौता किया है, जिसमें 10% टैरिफ की बात तय की गई है। ट्रंप प्रशासन ये समझौते पारस्परिक शुल्क के तहत कर रहा है, जिसकी डेडलाइन 1 अगस्त निर्धारित की गई है। ऐसे में फार्मा क्षेत्र के लिए आने वाले हफ्ते महत्वपूर्ण साबित हो सकते हैं। हालांकि, इन टैरिफ्स को लागू करने की तारीख अभी लचीली है और सेमीकंडक्टर व फार्मा आयातों पर जांच जारी है।
निवेशकों के लिए चेतावनी
अब तक अमेरिकी बाजार को सबसे मजबूत मानने वाली भारतीय फार्मा कंपनियों को ट्रंप की नीतियों से बड़ा झटका लग सकता है। यदि जनरिक दवाओं पर शुल्क लगाया गया, तो इससे भारतीय कंपनियों की लागत बढ़ेगी, मुनाफा घटेगा और शेयर बाजार में इनका प्रदर्शन कमजोर हो सकता है। रिपोर्ट के अनुसार, ट्रंप के कार्यकाल में विदेशी सामानों पर अमेरिकी टैरिफ द्वितीय विश्व युद्ध के बाद सबसे ऊंचे स्तर पर पहुंच गए हैं।