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ट्रंप की ईरान को 14 दिन की मोहलत: कूटनीति या भ्रम?

अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने ईरान को दो सप्ताह की मोहलत दी है, जिससे वैश्विक कूटनीति में हलचल मच गई है। यह समय सीमा ईरान-इजराइल के बीच तनाव और इजराइल की सैन्य कार्रवाइयों के बीच अमेरिका के संभावित हस्तक्षेप से बचने के लिए है। ट्रंप का यह बयान इजराइल द्वारा ईरान के परमाणु कार्यक्रम को पीछे धकेलने के दावे के बाद आया है। जानें कि क्या यह कूटनीति का एक अवसर है या ईरान को भ्रमित करने की रणनीति।
 

ईरान के लिए ट्रंप की चेतावनी

अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने ईरान को दो सप्ताह का समय देकर वैश्विक कूटनीति में हलचल पैदा कर दी है। यह समय सीमा ईरान और इजराइल के बीच बढ़ते तनाव और इजराइल की सैन्य गतिविधियों के बीच अमेरिका के संभावित हस्तक्षेप से बचने के लिए निर्धारित की गई है। ट्रंप ने शुक्रवार को कहा कि ईरान के पास अधिकतम दो सप्ताह हैं, अन्यथा अमेरिका हवाई हमलों पर विचार कर सकता है। हालांकि, इस '14 दिन की समयसीमा' और इसके पीछे छिपे 'टैको प्लान' ने कई सवाल खड़े कर दिए हैं। क्या यह वास्तव में कूटनीति का एक अवसर है या ईरान को भ्रमित करने की एक रणनीति?


इजराइल का दावा और ट्रंप की प्रतिक्रिया

ट्रंप का यह बयान तब आया जब इजराइल ने कहा कि उसने ईरान के परमाणु कार्यक्रम को कम से कम दो साल पीछे धकेल दिया है। ट्रंप ने इजराइल को हमले रोकने के लिए कहने से इनकार कर दिया, यह कहते हुए कि जो जीत रहा है, उसे रोकना मुश्किल है। उन्होंने यूरोपीय मध्यस्थता को भी खारिज कर दिया, यह बताते हुए कि ईरान केवल अमेरिका से बातचीत करना चाहता है। यह बयान ट्रंप की उस टिप्पणी के बाद आया जिसमें उन्होंने कहा था कि वह दो सप्ताह में निर्णय लेंगे कि अमेरिका को सैन्य कार्रवाई करनी है या नहीं।


ट्रंप की 'ट्रिक ऑर टैको' रणनीति

कई विशेषज्ञ इसे ट्रंप की 'ट्रिक ऑर टैको' रणनीति का हिस्सा मानते हैं। 'टैको' शब्द एक रूपक के रूप में देखा जा रहा है, जो उनकी अप्रत्याशित और भ्रमित करने वाली कूटनीति को दर्शाता है। कुछ का मानना है कि यह समय सीमा ईरान को दबाव में लाने की रणनीति है, ताकि वह अपने परमाणु कार्यक्रम को सीमित करे। दूसरी ओर, यह भी संभव है कि ट्रंप इस समय का उपयोग अपनी सैन्य तैयारियों को मजबूत करने और क्षेत्र में एक और विमानवाहक पोत तैनात करने के लिए कर रहे हों।


संभावित वैश्विक प्रभाव

अगर अमेरिका सीधे तौर पर इस संघर्ष में शामिल होता है, तो इसका प्रभाव पूरी दुनिया पर पड़ेगा। ईरान पर हमले से तेल की कीमतों में वृद्धि हो सकती है, और वैश्विक शेयर बाजारों पर भी इसका नकारात्मक असर देखने को मिल सकता है। इसके साथ ही, कमोडिटी बाजार को भी समर्थन मिल सकता है, जिससे सोने और चांदी की कीमतों में तेजी आ सकती है।