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टेस्टोस्टेरोन लेवल में कमी के संकेत और प्रभाव

टेस्टोस्टेरोन का स्तर उम्र के साथ घटता है, जिससे कई शारीरिक बदलाव होते हैं। इस लेख में, हम टेस्टोस्टेरोन की कमी के लक्षणों पर चर्चा करेंगे, जैसे प्यूबिक हेयर का पतला होना, लिंग का आकार और बनावट में परिवर्तन, और अंडकोष के कार्य में कमी। यह जानकारी आपके स्वास्थ्य के लिए महत्वपूर्ण हो सकती है।
 

प्राकृतिक बदलाव और टेस्टोस्टेरोन

प्रकृति में परिवर्तन एक सामान्य प्रक्रिया है। जैसे अन्य अंगों में बदलाव होते हैं, वैसे ही लिंग में भी परिवर्तन आते हैं। लिंग में होने वाले हर परिवर्तन का मुख्य कारण टेस्टोस्टेरोन का स्तर होता है। 9 से 15 वर्ष की आयु के बीच, पिट्यूटरी ग्रंथि हार्मोन का स्राव करती है, जो शरीर में टेस्टोस्टेरोन का निर्माण करती है। जब युवावस्था शुरू होती है, तो शरीर में कई परिवर्तन होने लगते हैं, जैसे अंडकोष, लिंग और प्यूबिक बालों का विकास।


टेस्टोस्टेरोन का स्तर और उम्र

20 वर्ष की आयु में टेस्टोस्टेरोन का स्तर अपने उच्चतम बिंदु पर होता है। इसके बाद, यह धीरे-धीरे कम होने लगता है और 40 वर्ष की आयु तक गिरता रहता है। हालांकि, यह कमी धीरे-धीरे होती है। 40 के बाद, इसमें अधिक गिरावट देखने को मिलती है, और शरीर में सेक्स हार्मोन बाइंडिंग ग्लोबुलिन (SHBG) नामक प्रोटीन का निर्माण शुरू होता है, जो टेस्टोस्टेरोन के स्तर को और कम कर देता है।


टेस्टोस्टेरोन लेवल कम होने के लक्षण

1) प्यूबिक हेयर: टेस्टोस्टेरोन के स्तर में कमी का पहला संकेत यह है कि प्यूबिक बाल अन्य शरीर के बालों की तुलना में पतले और हल्के हो जाते हैं।

2) लिंग का आकार: उम्र के साथ, कई लोग महसूस करते हैं कि उनका लिंग पहले की तरह बड़ा नहीं दिखता। हालांकि आकार में बहुत अधिक बदलाव नहीं होता, लेकिन लिंग के चारों ओर वसा की मात्रा बढ़ने से यह छोटा दिख सकता है।

3) लिंग की बनावट: उम्र के साथ लिंग की बनावट में बदलाव आ सकता है, जिससे लंबाई, परिधि और कार्य प्रभावित हो सकते हैं। यह स्थिति पेरोनीज रोग कहलाती है, जो शारीरिक आघात के कारण होती है।

4) अंडकोष: अंडकोष में छोटे अंग होते हैं जो शुक्राणु का निर्माण करते हैं। जब टेस्टोस्टेरोन का स्तर कम होता है, तो शुक्राणु का उत्पादन भी घटने लगता है। हार्मोन रिप्लेसमेंट थेरेपी कराने वाले व्यक्तियों में पिट्यूटरी ग्रंथि अंडकोष को टेस्टोस्टेरोन बनाने के संकेत नहीं भेज पाती।