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झालावाड़ स्कूल की छत गिरने से हुई त्रासदी: प्रशासन ने की सख्त कार्रवाई का आश्वासन

झालावाड़ में एक सरकारी स्कूल की छत गिरने से सात छात्रों की जान चली गई। घटना के बाद, प्रशासन ने सुरक्षा में चूक के लिए जिम्मेदार लोगों के खिलाफ सख्त कार्रवाई का आश्वासन दिया है। पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे ने भी इस घटना पर चिंता जताई और कहा कि यदि भवन को असुरक्षित माना गया होता, तो यह त्रासदी टल सकती थी। राज्य सरकार ने मृतकों के परिवारों के लिए मुआवजे की घोषणा की है। स्थानीय लोगों ने न्याय की मांग करते हुए प्रदर्शन किया।
 

घटना का विवरण

एक आठवीं कक्षा के छात्र ने बताया कि झालावाड़ के सरकारी स्कूल की छत गिरने की घटना के समय, छात्रों ने जब छत से पत्थर गिरने की सूचना दी, तो शिक्षक ने उन्हें वहीं बैठने के लिए कहा।


छात्र ने कहा, "मैं बाहर सफाई कर रहा था, और छात्र कक्षा के अंदर बैठे थे। अचानक, छत से पत्थर गिरने लगे, तो छात्रों ने शिक्षक को अलार्म दिया। उन्होंने कहा कि कुछ नहीं गिर रहा है और सभी को बैठने के लिए कहा। फिर शिक्षक बाहर आईं। सभी सीनियर लड़कियाँ बाहर थीं। अचानक, छत गिर गई, और छात्र फंस गए। हमने चीखें सुनीं और सभी बाहर भाग गए। गांव वालों ने फंसे हुए छात्रों को बचाने के लिए मदद की।"


प्रशासन की प्रतिक्रिया

झालावाड़ में हुई इस घटना के बाद, जिसमें सात छात्रों की जान गई, जिला मजिस्ट्रेट अजय सिंह राठौर ने शनिवार को कहा कि इस मामले में जिम्मेदार लोगों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी।


उन्होंने कहा, "मैं प्रशासन की ओर से पिपलौदी के निवासियों के सहयोग के लिए आभार व्यक्त करता हूँ। मृत बच्चों के परिजनों की केवल दो मांगें थीं: ऐसी घटनाएँ दोबारा न हों और जिम्मेदार लोगों के खिलाफ उचित कार्रवाई की जाए। यह घटना दिल को छू लेने वाली है। सुरक्षा में चूक और लापरवाही हुई है। हम इसके लिए जिम्मेदार लोगों के खिलाफ कार्रवाई करेंगे।"


भविष्य की सुरक्षा उपाय

राठौर ने आगे बताया कि प्रशासन पहले से ही यह सुनिश्चित कर रहा है कि जीर्ण-शीर्ण स्कूल भवन बंद रहें।


उन्होंने कहा, "जिला प्रशासन ने 20 जून को आदेश जारी किया था कि छात्रों को जीर्ण-शीर्ण भवनों में बैठने की अनुमति नहीं दी जानी चाहिए। हम पहले से ही यह सुनिश्चित कर रहे थे। दुर्भाग्यवश, हमें यहाँ की स्थिति के बारे में केवल तब पता चला जब यह त्रासदी हुई।"


राजनीतिक प्रतिक्रिया

पूर्व राजस्थान मुख्यमंत्री और भाजपा नेता वसुंधरा राजे ने कहा कि यदि इस भवन को असुरक्षित के रूप में पहचाना गया होता और छात्रों को सुरक्षित स्थान पर स्थानांतरित किया गया होता, तो यह त्रासदी टल सकती थी।


राजे ने कहा, "सात स्कूल के बच्चे मारे गए। लगभग 27 बच्चे घायल हैं। जब हमें पता चला, तो हम चौंक गए। यदि इस भवन को पहचाना गया होता और बच्चों को किसी सुरक्षित भवन में स्थानांतरित किया गया होता, तो यह नहीं होता।"


स्थानीय प्रतिक्रिया

घटना के बाद, स्थानीय लोगों ने प्रदर्शन किया और पीड़ितों के लिए न्याय की मांग की।


राजस्थान के मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा ने एक वीडियो बयान में घटना पर गहरा दुख व्यक्त किया। उन्होंने कहा, "यह एक दुखद घटना है। मैं इस घटना में निर्दोष बच्चों की मौत से दुखी हूँ। राज्य सरकार प्रभावित परिवारों के साथ है।"


मुआवजे की घोषणा

राज्य सरकार ने प्रत्येक मृत छात्र के परिवार को 10 लाख रुपये का मुआवजा देने की घोषणा की है। एक परिवार के सदस्य को संविदा नौकरी दी जाएगी, और स्कूल भवन का पुनर्निर्माण किया जाएगा। नए कक्षाओं का नाम उन बच्चों की याद में रखा जाएगा जिन्होंने अपनी जान गंवाई।