झारखंड के आदिवासी नेता शिबू सोरेन का निधन, मुख्यमंत्री ने किया शोक व्यक्त
शिबू सोरेन का निधन और मुख्यमंत्री का शोक
झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने अपने पिता और वरिष्ठ आदिवासी नेता शिबू सोरेन के निधन के बाद कहा कि उनके संघर्ष का सफर अधूरा नहीं रहेगा। मुख्यमंत्री ने बताया कि वह इस कठिन समय में अपने पिता के निधन का सामना कर रहे हैं। शिबू सोरेन, जो झारखंड मुक्ति मोर्चा (झामुमो) के संस्थापक थे, ने सोमवार को 81 वर्ष की आयु में अंतिम सांस ली।
अंतिम संस्कार की तैयारियां
शिबू सोरेन का अंतिम संस्कार मंगलवार को उनके पैतृक गांव नेमरा, रामगढ़ जिले में राजकीय सम्मान के साथ किया जाएगा। अधिकारियों के अनुसार, 'गुरुजी' के नाम से मशहूर सोरेन का निधन दिल्ली के एक निजी अस्पताल में हुआ, जहां राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी समेत कई नेताओं ने उन्हें श्रद्धांजलि दी।
नेमरा में शोक की लहर
सोरेन के निधन से नेमरा गांव में शोक की लहर दौड़ गई है। उनके निधन ने झारखंड के आदिवासी आंदोलन के एक महत्वपूर्ण युग का अंत कर दिया है। झामुमो के नेता के रूप में उन्होंने पिछले 38 वर्षों में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। झारखंड सरकार ने उनके सम्मान में तीन दिन का राजकीय शोक घोषित किया है।
राजनीतिक गतिविधियों पर प्रभाव
सोरेन के निधन के बाद, राज्यसभा की कार्यवाही को पूरे दिन के लिए स्थगित कर दिया गया। झारखंड विधानसभा का मौजूदा मानसून सत्र भी अनिश्चितकाल के लिए स्थगित कर दिया गया। विधानसभा अध्यक्ष ने कहा कि सोरेन का निधन झारखंड और पूरे देश के लिए एक अपूरणीय क्षति है।
श्रद्धांजलि और अंतिम यात्रा
सोरेन का पार्थिव शरीर दिल्ली से विशेष विमान के जरिए रांची लाया गया। मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन और उनके परिवार के सदस्य भी झारखंड लौट आए। पार्थिव शरीर को फूलों से सजी गाड़ी में रांची स्थित उनके आवास तक ले जाया गया। इस दौरान मुख्यमंत्री और उनके भाई अपने पिता के पास बैठे रहे।
श्रद्धांजलि के प्रतीक
रांची में शिबू सोरेन को श्रद्धांजलि देने के लिए 'अंतिम जोहार' संदेश वाले होर्डिंग और बैनर लगाए गए हैं। गुर्दे की समस्याओं के कारण एक महीने से अधिक समय तक अस्पताल में भर्ती रहने के बाद उनका निधन हुआ। रांची के करमटोली चौक पर एक बड़ा होर्डिंग लगाया गया है, जिसमें लिखा है, 'अंतिम जोहार... विनम्र श्रद्धांजलि, झारखंड राज्य निर्माता दिशोम गुरु शिबू सोरेन।'