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झारखंड उच्च न्यायालय ने बीआईटी मेसरा पर लगाया 20 लाख रुपये का जुर्माना

झारखंड उच्च न्यायालय ने मेसरा स्थित बिरला प्रौद्योगिकी संस्थान पर पिछले साल एक छात्र की हत्या के मामले में 20 लाख रुपये का जुर्माना लगाया है। यह राशि छात्र के माता-पिता को दी जाएगी। अदालत ने विद्यार्थियों की आपात चिकित्सा स्थितियों के लिए दिशानिर्देश भी जारी किए हैं, जिसमें अस्पतालों की सूची और चिकित्सा सुविधाओं की व्यवस्था शामिल है। न्यायमूर्ति संजय प्रसाद ने कहा कि संस्थान ने सुरक्षा में विफलता दिखाई। इसके अलावा, सीसीटीवी कैमरे लगाने और शिकायत निवारण के लिए एक पोर्टल बनाने का भी निर्देश दिया गया है।
 

बीआईटी मेसरा पर जुर्माना

झारखंड उच्च न्यायालय ने मेसरा स्थित बिरला प्रौद्योगिकी संस्थान (बीआईटी) परिसर में पिछले वर्ष एक छात्र की हत्या के मामले में संस्थान पर 20 लाख रुपये का जुर्माना लगाया है। यह राशि छात्र के माता-पिता को दी जाएगी।


आपात चिकित्सा दिशानिर्देश

अदालत ने विद्यार्थियों की आपात चिकित्सा स्थितियों से निपटने के लिए राज्य के सभी शैक्षणिक संस्थानों और विद्यालयों के लिए दिशानिर्देश भी तैयार किए हैं।


संस्थान की सुरक्षा में विफलता

न्यायमूर्ति संजय प्रसाद की पीठ ने कहा कि बीआईटी-मेसरा ने अपने संरक्षण में एक छात्र की सुरक्षा सुनिश्चित करने में असफलता दिखाई, जिसके परिणामस्वरूप एक व्यक्ति की जान चली गई।


अस्पतालों की सूची और चिकित्सा सुविधाएं

अदालत ने 12 अगस्त को दिए गए आदेश में कहा कि झारखंड के सभी शैक्षणिक संस्थानों को एम्बुलेंस सुविधाओं वाले सरकारी और निजी अस्पतालों की सूची तैयार करनी होगी।


डिस्पेंसरी और चिकित्सक की व्यवस्था

न्यायाधीश ने निर्देश दिया कि प्रत्येक स्कूल और कॉलेज में एक डिस्पेंसरी या क्लिनिक होना चाहिए, जिसमें 500 से 1,000 विद्यार्थियों के लिए एक पुरुष और एक महिला चिकित्सक उपलब्ध हों, साथ ही जीवन रक्षक दवाइयां भी होनी चाहिए।


सूचना पट्टों पर जानकारी

आदेश के अनुसार, कक्षाओं और संस्थान के प्रमुख स्थानों पर अस्पतालों और चिकित्सकों के नाम और उनके संपर्क नंबर प्रमुखता से प्रदर्शित किए जाने चाहिए।


सीसीटीवी कैमरे और शिकायत प्रकोष्ठ

अदालत ने कक्षाओं और छात्रावास के प्रवेश द्वारों पर सीसीटीवी कैमरे लगाने का भी निर्देश दिया। इसके अलावा, विद्यार्थियों और संस्थान के बीच संपर्क बनाए रखने के लिए एक अलग शिकायत प्रकोष्ठ और एक छात्र निगरानी दल का गठन किया जाना चाहिए।


शिकायत निवारण पोर्टल

उच्च न्यायालय ने कहा कि विद्यार्थियों और अभिभावकों की शिकायतों के निवारण के लिए संस्थान द्वारा एक पोर्टल या वेबसाइट भी बनाई जानी चाहिए। न्यायमूर्ति प्रसाद ने मामले की सुनवाई करते हुए दोषियों मौसम कुमार सिंह, अभिषेक कुमार, साहिल अंसारी और इरफान अंसारी की याचिकाएं खारिज कर दीं।