जेएनयू छात्रों पर पुलिस कार्रवाई: मामला दर्ज और बॉण्ड भरवाने की प्रक्रिया
दिल्ली पुलिस की कार्रवाई
दिल्ली पुलिस ने सोमवार को जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय (जेएनयू) के छह छात्रों के खिलाफ मामला दर्ज किया और शांति बनाए रखने के लिए उनसे बॉण्ड भरवाने की प्रक्रिया शुरू की। इनमें छात्र संघ के तीन प्रमुख पदाधिकारी भी शामिल हैं। यह कार्रवाई छात्रों और पुलिस के बीच हुई झड़प के एक दिन बाद की गई।
झड़प के दौरान स्थिति
वसंत कुंज (उत्तर) पुलिस थाने के पास छात्रों के विरोध मार्च के दौरान पुलिस और छात्रों के बीच संघर्ष हुआ, जिसमें कई छात्र घायल हुए। जेएनयू छात्रसंघ के अध्यक्ष नीतीश कुमार, उपाध्यक्ष मनीषा, महासचिव मुन्तेहा फातिमा और अन्य छात्रों से बॉण्ड भरवाया गया।
बॉण्ड की शर्तें
एक वरिष्ठ पुलिस अधिकारी ने बताया कि इस बॉण्ड के तहत छात्रों को कानूनी रूप से बुलाए जाने पर जांच अधिकारी के सामने उपस्थित होना होगा। इसके अलावा, यदि वे शहर छोड़ने का इरादा रखते हैं, तो उन्हें पहले पुलिस को सूचित करना होगा।
प्राथमिकी और हिरासत
पुलिस ने बताया कि वसंत कुंज (उत्तर) थाने में छात्रों के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज की गई है। इसके साथ ही, 28 अन्य छात्रों को दिल्ली पुलिस अधिनियम की धारा 65 के तहत हिरासत में लिया गया, जिन्हें बाद में चिकित्सा परीक्षण के बाद रिहा कर दिया गया।
घटनाक्रम का विवरण
पुलिस के अनुसार, नेल्सन मंडेला मार्ग पर छात्रों द्वारा बैरिकेड्स तोड़ने और यातायात बाधित करने के दौरान छह पुलिसकर्मी घायल हुए। यह विरोध मार्च वामपंथी संगठनों द्वारा आयोजित किया गया था, जिसमें अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद (एबीवीपी) के सदस्यों के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज करने की मांग की गई।
छात्रों के आरोप और शिक्षक संघ की प्रतिक्रिया
छात्रों ने आरएसएस समर्थित समूह पर आरोप लगाया कि उन्होंने हाल ही में परिसर में एक आम सभा के दौरान वामपंथी छात्रों पर हमला किया। छात्र संगठनों ने पुलिस की कार्रवाई को बर्बर बताते हुए कहा कि उन्हें तितर-बितर करने के लिए हमला किया गया। जेएनयू शिक्षक संघ ने पुलिस की कार्रवाई की निंदा करते हुए इसे ‘अनुपातहीन और राजनीति से प्रेरित’ करार दिया।
पुलिस का स्पष्टीकरण
हालांकि, पुलिस ने इन आरोपों का खंडन करते हुए कहा कि व्यवस्था बनाए रखने और तनाव को बढ़ने से रोकने के लिए उनकी कार्रवाई आवश्यक थी।