जस्टिस सूर्यकांत बने देश के 53वें मुख्य न्यायाधीश, 14 महीने का कार्यकाल
जस्टिस सूर्यकांत का शपथ ग्रहण समारोह
नई दिल्ली। CJI बीआर गवई का कार्यकाल 23 नवंबर को समाप्त हो गया है। अब जस्टिस सूर्यकांत ने इस महत्वपूर्ण भूमिका को संभाल लिया है। उन्होंने सोमवार को देश के 53वें मुख्य न्यायाधीश के रूप में शपथ ली। राष्ट्रपति भवन में आयोजित समारोह में राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने उन्हें पद की शपथ दिलाई। इसके बाद उन्होंने अपने बड़े भाई के पैर छुए। इस कार्यक्रम में उनके परिवार के सदस्य भी उपस्थित थे।
अंतरराष्ट्रीय न्यायिक प्रतिनिधिमंडल की उपस्थिति
शपथ लेने के बाद, CJI सूर्यकांत ने प्रधानमंत्री मोदी और अन्य गणमान्य व्यक्तियों से मुलाकात की। उन्होंने पूर्व CJI बीआर गवई से गले मिलकर उन्हें विदाई दी। इस समारोह में ब्राजील सहित सात देशों के मुख्य न्यायाधीश और सुप्रीम कोर्ट के न्यायाधीश भी शामिल हुए। भारतीय न्यायपालिका के इतिहास में यह पहली बार है जब किसी CJI के शपथ ग्रहण में इतना बड़ा अंतरराष्ट्रीय न्यायिक प्रतिनिधिमंडल उपस्थित रहा।
कार्यकाल और पारिवारिक पृष्ठभूमि
CJI सूर्यकांत का कार्यकाल 14 महीने का होगा। वे 9 फरवरी 2027 को रिटायर होंगे। जस्टिस सूर्यकांत के पिता मदनमोहन शास्त्री संस्कृत के शिक्षक और प्रसिद्ध साहित्यकार थे, जबकि उनकी मां शशि देवी गृहणी थीं। उनके बड़े भाई ऋषिकांत एक सेवानिवृत्त शिक्षक हैं। जस्टिस सूर्यकांत की पत्नी सविता सूर्यकांत कॉलेज में प्रिंसिपल के पद से रिटायर हुई हैं।
महत्वपूर्ण निर्णय और योगदान
जस्टिस सूर्यकांत कई महत्वपूर्ण संवैधानिक बेंच का हिस्सा रहे हैं और उनके कार्यकाल में 1000 से अधिक फैसलों में शामिल रहे हैं। इनमें आर्टिकल 370 को निरस्त करने के फैसले को बरकरार रखना भी शामिल है। उन्होंने कॉलोनियल एरा के राजद्रोह कानून को स्थगित करने का निर्देश दिया और महिलाओं के लिए बार एसोसिएशनों में एक-तिहाई सीटें आरक्षित करने का श्रेय भी उन्हें दिया जाता है।
गांव से जुड़ाव
जस्टिस सूर्यकांत अभी भी अपने गांव पेटवाड़ से जुड़े हुए हैं। वे हर साल गांव के स्कूलों के टॉपर्स को सम्मानित करने आते हैं। उनके गांव का इतिहास गौरवपूर्ण रहा है, जिसमें स्वतंत्रता संग्राम सेनानियों और शहीद जवानों के नाम शामिल हैं।