जस्टिस सूर्यकांत का नया कार्यकाल: लंबित मामलों का समाधान और मिडिएशन का महत्व
जस्टिस सूर्यकांत ने अपने नए कार्यकाल की शुरुआत में लंबित मामलों को कम करने और मिडिएशन को बढ़ावा देने की प्राथमिकता बताई है। उन्होंने न्यायपालिका में आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस के सावधानीपूर्वक उपयोग की आवश्यकता पर भी जोर दिया। उनके विचारों में न्याय व्यवस्था को तेज, निष्पक्ष और सुलभ बनाना शामिल है। जानें उनके कार्यकाल की अन्य महत्वपूर्ण बातें।
Nov 23, 2025, 17:36 IST
नए मुख्य न्यायाधीश का कार्यभार ग्रहण
जस्टिस सूर्यकांत सोमवार को देश के नए मुख्य न्यायाधीश के रूप में कार्यभार संभालने जा रहे हैं। अपने कार्यकाल की शुरुआत से पहले, उन्होंने एक विशेष बातचीत में अपनी प्राथमिकताओं का खुलासा किया।
लंबित मामलों की चुनौती
टाइम्स नाउ नवभारत के साथ बातचीत में, जस्टिस सूर्यकांत ने बताया कि उनकी सबसे बड़ी चुनौती सुप्रीम कोर्ट और अन्य अदालतों में लंबित मामलों की संख्या को कम करना होगा। वर्तमान में सुप्रीम कोर्ट में लगभग 90,000 मामले लंबित हैं, जिसके समाधान के लिए तात्कालिक कदम उठाने की आवश्यकता है।
उन्होंने कहा कि कई पुराने मामले इस कारण रुके हुए हैं क्योंकि उनसे जुड़े कानूनी मुद्दों पर सुप्रीम कोर्ट का निर्णय लंबित है। ऐसे मामलों की पहचान कर विशेष बेंच के माध्यम से प्राथमिकता से सुनवाई की जाएगी।
उनका प्राथमिक लक्ष्य सबसे पुराने मामलों का त्वरित निपटारा करना होगा ताकि न्याय प्रणाली में संतुलन स्थापित किया जा सके। उन्होंने यह भी कहा कि लोगों को यह समझना चाहिए कि सीधे सुप्रीम कोर्ट जाने के बजाय हाईकोर्ट भी संवैधानिक शक्तियों से लैस हैं।
मिडिएशन का महत्व
जस्टिस सूर्यकांत ने मिडिएशन को 'गेम चेंजर' के रूप में देखा है। उन्होंने कहा कि पूरे देश में मिडिएशन को बढ़ावा देना आवश्यक है। इससे अदालतों पर बोझ कम होगा, खासकर जब सरकारी विभाग और बैंक भी लंबी मुकदमेबाजी से बचने के लिए इसे अपनाने लगे हैं।
उन्होंने सुझाव दिया कि केंद्र और राज्य स्तर पर विवादों में मिडिएशन को प्राथमिक विकल्प के रूप में अपनाया जा सकता है।
आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस का सावधानीपूर्वक उपयोग
आधुनिक तकनीक के संदर्भ में, जस्टिस सूर्यकांत ने न्यायपालिका में आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस के उपयोग पर सावधानी बरतने की आवश्यकता बताई। उन्होंने कहा कि एआई का उपयोग केवल प्रक्रिया संबंधी मामलों में सीमित होना चाहिए।
उन्होंने स्पष्ट किया कि हर मामले का अंतिम निर्णय केवल न्यायाधीश द्वारा ही किया जाना चाहिए। एआई द्वारा गलत कानूनी उदाहरणों की चुनौती का सामना करने के लिए बार के साथ चर्चा की जाएगी ताकि एआई के उपयोग की सीमाएं निर्धारित की जा सकें।
अन्य महत्वपूर्ण विचार
सोशल मीडिया पर ट्रोलिंग के विषय में, जस्टिस सूर्यकांत ने कहा कि न्यायाधीशों को किसी भी प्रकार की आलोचना का दबाव नहीं लेना चाहिए। इलाहाबाद हाईकोर्ट के संदर्भ में, उन्होंने कहा कि उत्तर प्रदेश जैसे बड़े राज्य में त्वरित न्याय के लिए नई बेंच के गठन की मांग उचित है, लेकिन इस पर अंतिम निर्णय संसद और हाईकोर्ट को मिलकर करना होगा।
जस्टिस सूर्यकांत ने कहा कि उनका मुख्य लक्ष्य यह सुनिश्चित करना है कि न्याय व्यवस्था तेज, निष्पक्ष और सभी के लिए सुलभ हो।