जवाहर लाल नेहरू: एक महान नेता का अकेलापन और संघर्ष
नेहरू का जीवन और संघर्ष
जवाहर लाल नेहरू.
जवाहर लाल नेहरू, हमारे देश के एक प्रमुख नेता, जिनके पास सब कुछ था, फिर भी वे हमेशा एक प्रकार की प्रताड़ना का सामना करते रहे। वे एक संपन्न परिवार में जन्मे, जहाँ उन्हें अपार प्यार और धन मिला। लेकिन उनके चारों ओर हमेशा एक बाड़ बनी रही। बचपन से लेकर युवा अवस्था तक, उन्होंने परिवार की बंदिशों और स्वतंत्रता संग्राम में महात्मा गांधी के कठोर अनुशासन का सामना किया। 57 वर्ष की आयु में प्रधानमंत्री बनने के बावजूद, वे पार्टी के भीतर और बाहर आलोचना का शिकार बने रहे।
हालांकि, जनता ने उन्हें अपार स्नेह दिया। उनकी मृत्यु पर, मद्रास में एक महिला ने आत्मदाह कर लिया और उनके अंतिम दर्शन के लिए हजारों लोग उमड़ पड़े। जब उनकी अस्थियाँ संगम ले जाई जा रही थीं, तब रेलवे ट्रैक के दोनों किनारों पर लोग आंसू बहा रहे थे।
‘साड्डा रब चला गया!’
यह दृश्य मैंने खुद देखा था। जब नेहरू जी का निधन हुआ, तब मैं कक्षा पांच में था। घर पहुंचा तो देखा कि सभी लोग उदास बैठे थे। मैंने अपनी मां से पूछा, तो पता चला कि पंडित जी नहीं रहे। उस समय हमारे पास रेडियो नहीं था, लेकिन मेरे पिता मुझे प्रोफेसर शुक्ला के घर ले गए, जहाँ लाइव टेलिकास्ट सुनने के लिए लोग इकट्ठा हुए थे। वहां पंजाबी शरणार्थी रोते हुए कह रहे थे, ‘साड्डा रब चला गया!’
नेहरू का राजनीतिक जीवन
आजकल नेहरू को हर तरफ से आलोचना का सामना करना पड़ रहा है। भाजपा उनके विचारों पर टिप्पणी करती है, जबकि कांग्रेस उन्हें एक महान नेता मानती है। नेहरू ने भारत की अखंडता को बनाए रखने के लिए कई महत्वपूर्ण कदम उठाए। 200 वर्षों की औपनिवेशिक गुलामी के बाद, देश को आज़ादी मिली, लेकिन समस्याएँ जटिल थीं। नेहरू की दूरदर्शिता ने उन्हें इस कठिन समय में सही निर्णय लेने में मदद की।
कश्मीर का मुद्दा
कश्मीर का विलय एक जटिल प्रक्रिया थी। महाराजा हरि सिंह की महत्त्वाकांक्षा ने स्थिति को और कठिन बना दिया। अंततः, नेहरू और सरदार पटेल ने मिलकर कश्मीर का भारत के साथ विलय किया।
नेहरू की दूरदर्शिता
15 अगस्त 1947 को आज़ादी मिलने के बाद, देश की स्थिति बहुत नाजुक थी। नेहरू ने हमेशा एक मध्य मार्ग अपनाया, जिससे देश को स्थिरता मिली। उन्होंने गुट निरपेक्षता की नीति अपनाई और NAM की स्थापना की।
नेहरू का निजी जीवन
हालांकि नेहरू का सार्वजनिक जीवन बहुत सफल रहा, लेकिन उनका निजी जीवन हमेशा अकेलेपन से भरा रहा। उनकी पत्नी कमला नेहरू का निधन जल्दी हो गया, और वे परिवार से दूर होते चले गए।
एडविना से संबंध
नेहरू और एडविना माउंटबेटन के बीच का रिश्ता अक्सर विवाद का विषय रहा। हालांकि, यह सच है कि उनके बीच एक गहरा बौद्धिक संबंध था।
नेहरू का मूल्यांकन
पंडित नेहरू एक उदारवादी नेता थे। उनकी दूरदर्शिता और देश प्रेम को नजरअंदाज नहीं किया जा सकता। आज उन्हें एक विलेन के रूप में पेश करना उचित नहीं है।