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जल जीवन मिशन में सुधार की दिशा में पीएम मोदी का बड़ा कदम

प्रधानमंत्री मोदी ने जल जीवन मिशन की समीक्षा बैठक में महत्वपूर्ण निर्णय लिए हैं। योजना की खामियों को दूर करने के बाद ही बकाया राशि जारी की जाएगी। 100 विशेष टीमों द्वारा की गई जांच में कई राज्यों में ठेकेदारों द्वारा निम्न गुणवत्ता का काम पाया गया है। जानें इस योजना की प्रगति और सरकार के अगले कदमों के बारे में।
 

जल जीवन मिशन की समीक्षा बैठक

पीएम मोदी

केंद्र सरकार ने गावों में हर घर तक नल से जल पहुंचाने के लिए जल जीवन मिशन के तहत एक महत्वपूर्ण निर्णय लिया है। यह तय किया गया है कि इस योजना की मौजूदा समस्याओं को हल करने के बाद ही 2028 तक इसे पूरा करने के लिए बकाया राशि जारी की जाएगी। हाल ही में पीएम मोदी की अध्यक्षता में एक उच्चस्तरीय बैठक में इस योजना की समीक्षा की गई।

बैठक में योजना की जांच के लिए गठित 100 विशेष टीमों की प्रारंभिक रिपोर्ट पर चर्चा की गई। सूत्रों के अनुसार, बैठक में जांच के दायरे को बढ़ाने और प्रमुख ठेकेदारों के खिलाफ कार्रवाई पर विचार किया गया। इस योजना को पहले 2024 तक पूरा करने का लक्ष्य था, लेकिन वित्त मंत्री ने इसे 2028 तक बढ़ाने की घोषणा की है ताकि सभी घरों में नल से जल पहुंचाया जा सके। इसके लिए 2025-26 में 67 हजार करोड़ रुपए का प्रावधान किया गया है.

दोषियों के खिलाफ कठोर कदम

रिपोर्ट में यह भी सामने आया कि कई राज्यों में ठेकेदारों ने निम्न गुणवत्ता का कार्य किया है, जिसके कारण कई स्थानों पर भुगतान रोका गया है। उदाहरण के लिए, कोविड लॉकडाउन के दौरान कुछ स्थानों पर अधिक कीमत पर सामग्री की आपूर्ति की गई, जबकि उस समय मांग कम थी। यह निर्णय लिया गया है कि गड़बड़ियों के लिए जिम्मेदार व्यक्तियों के खिलाफ कठोर कार्रवाई की जाएगी। इसके अलावा, योजना में शामिल थर्ड पार्टी का प्रदर्शन भी कई स्थानों पर संतोषजनक नहीं पाया गया है.

केंद्र सरकार ने इस साल मई में जल जीवन मिशन के अंतर्गत चल रही परियोजनाओं में देरी और गुणवत्ता से संबंधित मुद्दों को लेकर 100 विशेष टीमों का गठन किया था। ये टीमें 29 राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों में 135 जिलों की 183 परियोजनाओं की जांच कर रही हैं। इन टीमों में 75 संयुक्त सचिव और 106 निदेशक शामिल हैं.

जांच के लिए भेजने से पहले इन टीमों को प्रशिक्षित किया गया ताकि वे जमीनी हालात का सही आकलन कर सकें। जांच का मुख्य उद्देश्य परियोजनाओं में देरी, लागत वृद्धि और कार्य की गुणवत्ता से संबंधित शिकायतों का पता लगाना है.

लक्ष्य की प्रगति

आंकड़ों के अनुसार, लगभग 80 प्रतिशत लक्ष्य पूरा किया जा चुका है। पंजाब, गुजरात, हरियाणा, हिमाचल प्रदेश सहित 11 राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों ने इस मिशन के तहत 100 प्रतिशत लक्ष्य हासिल कर लिया है। हालांकि, विपक्ष शासित पश्चिम बंगाल, केरल, झारखंड और एनडीए शासित मध्यप्रदेश, राजस्थान, आंध्र प्रदेश जैसे राज्यों में इसकी गति धीमी है। केंद्र सरकार का यह कदम जल जीवन मिशन को समय पर और गुणवत्तापूर्ण तरीके से पूरा करने के लिए महत्वपूर्ण है.