जयपुर में कुत्तों के काटने की घटनाओं में तेजी: 36% की वृद्धि
कुत्तों के काटने की घटनाओं में वृद्धि
जयपुर के गुलाबी नगर में इंसान और जानवर के बीच का रिश्ता अब चिंता का विषय बन गया है। शहर में कुत्तों के काटने की घटनाएं तेजी से बढ़ रही हैं। आंकड़ों के अनुसार, हर महीने औसतन 680 से अधिक लोग डॉग बाइट का शिकार बन रहे हैं, जबकि पिछले वर्ष यह संख्या लगभग 500 थी। इस प्रकार, एक साल में मामलों में 36% से अधिक की वृद्धि हुई है।
बर्थ कंट्रोल योजना का सीमित प्रभाव
नगर निगम द्वारा वर्षों से श्वानों की बर्थ कंट्रोल योजना लागू की जा रही है, लेकिन इसका प्रभाव अब कुछ क्षेत्रों तक ही सीमित रह गया है। शहर के केंद्र में कुछ नियंत्रण देखने को मिला है, लेकिन बाहरी कॉलोनियों, कस्बों और गांवों में कुत्तों की संख्या में बेतहाशा वृद्धि हुई है। यही कारण है कि इन क्षेत्रों में डॉग बाइट की घटनाएं भी बढ़ रही हैं।
विशेषज्ञों की चेतावनी
विशेषज्ञों का मानना है कि यदि यह स्थिति बनी रही, तो आने वाले वर्षों में ये आंकड़े दोगुने हो सकते हैं।
डॉग बाइट मामलों की रिपोर्ट
एसएमएस हॉस्पिटल की रिपोर्ट के अनुसार, जनवरी से सितंबर के बीच 6,151 डॉग बाइट केस दर्ज किए गए हैं, जिनमें से 5 लोगों की मौत रेबीज के कारण हो चुकी है।
मामलों की संख्या में उतार-चढ़ाव
साल के प्रारंभिक महीनों में मामलों की संख्या 600 से 700 के बीच थी, जबकि जुलाई में यह बढ़कर 792 तक पहुंच गई। सितंबर में मामलों में थोड़ी कमी आई, लेकिन खतरा अभी भी बना हुआ है।
मामलों और मौतों का विवरण
माह केस मौत
जनवरी 755 1
फरवरी 623 0
मार्च 707 2
अप्रैल 624 0
मई 728 1
जून 736 1
जुलाई 792 0
अगस्त 668 0
सितंबर 518 0
स्वास्थ्य विशेषज्ञ की सलाह
जयपुर एसएमएस मेडिकल कॉलेज के पूर्व अतिरिक्त प्रिंसिपल और रेबीज विशेषज्ञ डॉ. गोवर्धन मीणा का कहना है कि पहले मरीज सीधे बड़े अस्पतालों में पहुंचते थे, जिससे दबाव बढ़ता था। अब सरकार ने PHC और CHC स्तर पर वैक्सीनेशन की सुविधा शुरू की है, जिससे मरीजों को राहत मिली है।
घाव की देखभाल
डॉ. मीणा ने बताया कि यदि किसी को कुत्ता काट ले, तो सबसे पहले घाव को साबुन और साफ पानी से 15 मिनट तक धोना चाहिए। ऐसा करने से बीमारी के फैलने का खतरा 50% तक कम हो जाता है। इसके बाद नजदीकी स्वास्थ्य केंद्र जाकर वैक्सीन लगवाना आवश्यक है।
रेबीज का प्रभाव
रेबीज का असर काटने की जगह पर निर्भर करता है। यदि कुत्ते ने सिर या चेहरे पर काटा है, तो असर 2-3 दिन में दिख सकता है। हाथ पर काटने की स्थिति में यह असर 1 से 1.5 महीने में और पैर पर काटने पर 2 से 2.5 महीने में नजर आता है।
ग्रामीण भ्रांतियाँ
ग्रामीण क्षेत्रों में अब भी यह भ्रांति है कि डॉग बाइट के बाद पेट में 14 इंजेक्शन लगवाने पड़ते हैं।
बर्थ कंट्रोल अभियान की आवश्यकता
नगर निगम के अधिकारियों का कहना है कि शहर में प्रतिदिन लगभग 200 से अधिक कुत्तों का बंध्याकरण किया जा रहा है। हालांकि, संसाधनों की कमी के कारण सभी क्षेत्रों को कवर नहीं किया जा रहा है। विशेषज्ञ मानते हैं कि यदि बर्थ कंट्रोल अभियान का दायरा नहीं बढ़ाया गया, तो जयपुर में डॉग बाइट एक बड़ा सार्वजनिक स्वास्थ्य संकट बन सकता है।