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जयपुर के रेनवाल में नवरात्रि पर 61 फीट ऊंचे रावण का दहन

जयपुर के रेनवाल में नवरात्रि के छठे दिन 61 फीट ऊंचे रावण का दहन किया गया। इस परंपरा को देखने के लिए बड़ी संख्या में लोग पहुंचे। उत्सव में आतिशबाजी, झांकियां और दक्षिण भारतीय मुखौटा नृत्य ने माहौल को जीवंत बना दिया। यह परंपरा कई दशकों से चली आ रही है और ग्रामीणों की एकजुटता का प्रतीक है। जानें इस अनूठे उत्सव के बारे में और भी जानकारी।
 

दशहरे का उत्सव और रावण दहन

भारत में 2 अक्टूबर को दशहरा मनाया जाएगा, लेकिन जयपुर के रेनवाल में नवरात्रि के छठे दिन ही रावण का दहन किया गया। इस अवसर पर 61 फीट ऊंचे रावण का पुतला जलाया गया, जिसे देखने के लिए बड़ी संख्या में लोग एकत्रित हुए। उत्सव के दौरान आतिशबाजी और झांकियों ने माहौल को जीवंत बना दिया। इसके साथ ही, दक्षिण भारतीय मुखौटा नृत्य ने भी दर्शकों का ध्यान आकर्षित किया। हर साल नवरात्रि के छठे दिन इस परंपरा का पालन किया जाता है, जो वर्षों से चली आ रही है। इससे पहले रामलीला का मंचन हुआ, जिसमें राम और रावण के बीच युद्ध का दृश्य प्रस्तुत किया गया।


परंपरा का महत्व और ग्रामीणों की भागीदारी

मंचन के बाद, रावण के दहन के साथ ही लोगों ने जयकारों के साथ दशानन के अंत का जश्न मनाया। स्थानीय निवासियों का कहना है कि यह परंपरा कई दशकों से चली आ रही है। रेनवाल में आश्विन मास की षष्ठी को रावण का दहन किया जाता है, और यह परंपरा इतनी प्रसिद्ध है कि आसपास के गांवों से भी लोग इसे देखने आते हैं।


इस उत्सव का एक महत्वपूर्ण पहलू यह है कि यह ग्रामीणों की एकजुटता का प्रतीक है। क्षेत्र के विभिन्न गांवों में होली तक रावण दहन का सिलसिला जारी रहता है। कार्यक्रम में जीवंत झांकियां सजाई गईं, रामायण के विभिन्न प्रसंगों का मंचन हुआ, और दक्षिण भारतीय शैली का मुखौटा नृत्य विशेष आकर्षण का केंद्र बना। गांव के बुजुर्गों के अनुसार, इस परंपरा का उद्देश्य केवल बुराई पर अच्छाई की विजय का संदेश देना नहीं है, बल्कि यह ग्रामीणों को एकजुट करने और सांस्कृतिक धरोहर को जीवित रखने का भी माध्यम है।