जम्मू-कश्मीर विधानसभा में बीजेपी का वॉकआउट, उमर अब्दुल्ला पर घोटाले के आरोप
जम्मू-कश्मीर में टेंडर घोटाले का मामला
क्या जम्मू-कश्मीर में हुआ टेंडर घोटाला?
बीजेपी विधायकों ने 30 अक्टूबर को जम्मू-कश्मीर विधानसभा से वॉकआउट किया। उनका उद्देश्य इस वर्ष राज्य में आई बाढ़ पर चर्चा करना था, लेकिन उनका स्थगन प्रस्ताव अस्वीकृत कर दिया गया। इस विरोध के तहत, भाजपा सदस्यों ने प्रश्नकाल के दौरान खड़े होकर अपनी मांग रखी, जिसके बाद उन्होंने वॉकआउट किया। इसके साथ ही, बीजेपी ने मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला की सरकार पर घोटाले का आरोप लगाते हुए इस्तीफे की मांग की है।
सदन की कार्यवाही शुरू होते ही बीजेपी विधायक अपनी मांग को लेकर खड़े हो गए और जम्मू के बाढ़ प्रभावित क्षेत्रों पर चर्चा की मांग की। स्पीकर ने उन्हें अपनी सीटों पर बैठने के लिए कहा, लेकिन वे अपनी मांग पर अड़े रहे।
नेता प्रतिपक्ष सुनील शर्मा ने कहा कि अगस्त में जम्मू-कश्मीर में बाढ़ के कारण भारी नुकसान हुआ। गरीबों के घर तबाह हो गए, फसलें बर्बाद हो गईं, और पशुधन नष्ट हो गया। उन्होंने कहा कि भारत सरकार के मंत्री नुकसान का आकलन करने के लिए आए थे, लेकिन जम्मू-कश्मीर सरकार ने अभी तक रिपोर्ट नहीं सौंपी।
उन्होंने आगे कहा कि आज एक बड़ा घोटाला सामने आया है। सरकार क्या छिपाना चाहती है? मीडिया में PWD में घोटाले की खबर आई है। करोड़ों रुपए के टेंडर आवंटित किए गए हैं और सभी दिशानिर्देशों का उल्लंघन किया गया है। यह सब एक विशेष व्यक्ति को लाभ पहुंचाने के लिए किया गया है। उन्होंने सवाल उठाया कि उस क्षेत्र का विधायक और मंत्री कौन है? क्या वह उमर साहब का करीबी है? अगर कोई संदेह है, तो इसे सीबीआई को सौंपना चाहिए। उमर साहब ने नौकरी, सिलेंडर, राशन और बिजली का वादा किया था, लेकिन बदले में क्या मिला? करोड़ों का घोटाला। सीएम उमर को इस मुद्दे पर इस्तीफा देना चाहिए।
नेशनल कॉन्फ्रेंस के विधायक सज्जाद शाहीन ने बीजेपी के आरोपों का खंडन करते हुए कहा कि बीजेपी विभाजनकारी राजनीति कर रही है। उन्होंने कहा कि आज विधानसभा में सांप्रदायिक रंग देने की कोशिश की गई। उन्होंने प्रश्नकाल में बाधा डालने का आरोप लगाया और कहा कि टेंडर की प्रक्रिया अभी चल रही है, इसलिए इसे घोटाला नहीं कहा जा सकता।