जम्मू-कश्मीर में आतंकी हमले की जांच में नए खुलासे, पाकिस्तान की साजिश का पर्दाफाश
जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में 22 अप्रैल को हुए आतंकी हमले की जांच में नए तथ्य सामने आए हैं, जो पाकिस्तान की आतंकवादी गतिविधियों को उजागर करते हैं। सुरक्षा एजेंसियों के अनुसार, इस हमले की योजना पाकिस्तान की आईएसआई और लश्कर-ए-तैयबा ने बनाई थी। हमले में केवल पाकिस्तानी आतंकियों का इस्तेमाल किया गया, और स्थानीय आतंकियों को शामिल नहीं किया गया। इस हमले का नेतृत्व पूर्व पाकिस्तानी स्पेशल फोर्स कमांडो सुलैमान ने किया। जानें इस हमले के पीछे की पूरी कहानी और भारत की सुरक्षा चुनौतियों के बारे में।
Jul 15, 2025, 11:40 IST
पाकिस्तान की आतंकी साजिश का खुलासा
22 अप्रैल को जम्मू-कश्मीर के पहलगाम स्थित बैसरण घाटी में हुए आतंकी हमले की जांच में जो नए तथ्य सामने आए हैं, उन्होंने पाकिस्तान की आतंकवादी गतिविधियों का घिनौना चेहरा उजागर कर दिया है। सुरक्षा एजेंसियों के सूत्रों के अनुसार, इस हमले की योजना पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी आईएसआई और लश्कर-ए-तैयबा (LeT) ने मिलकर बनाई थी। इसे पाकिस्तान के राजनीतिक और सैन्य नेतृत्व के निर्देश पर अंजाम दिया गया। खास बात यह है कि इस हमले में केवल पाकिस्तानी आतंकियों का ही इस्तेमाल किया गया, जबकि किसी स्थानीय कश्मीरी आतंकी को शामिल नहीं किया गया।
हमले की योजना और कार्यान्वयन
मीडिया रिपोर्टों के अनुसार, यह हमला आईएसआई और लश्कर का एक संयुक्त प्रयास था, जैसा कि 2008 के मुंबई हमलों में देखा गया था। आईएसआई ने लश्कर के कमांडर साजिद जट्ट को निर्देश दिए थे कि इस हमले के लिए केवल विदेशी आतंकियों को शामिल किया जाए, ताकि इसकी गोपनीयता बनी रहे और स्थानीय नेटवर्क से कोई जानकारी लीक न हो सके। साजिद जट्ट के आदेश पर लश्कर के विदेशी आतंकियों को जम्मू-कश्मीर में सक्रिय किया गया, और उन्हें स्थानीय लोगों के साथ कम से कम संपर्क में रहने का निर्देश दिया गया।
हमले का नेतृत्व करने वाला आतंकी
हमले का नेतृत्व पाकिस्तानी सेना के पूर्व स्पेशल फोर्स कमांडो सुलैमान ने किया। सुलैमान ने लश्कर के मुरिदके कैंप में प्रशिक्षण प्राप्त किया था और 2022 में वह एम-4 हथियार के साथ नियंत्रण रेखा पार कर जम्मू क्षेत्र में दाखिल हुआ। उसके साथ दो अन्य पाकिस्तानी आतंकियों ने भी इस हमले में भाग लिया। सैटेलाइट फोन के विश्लेषण से पता चला है कि हमले से एक हफ्ते पहले, 15 अप्रैल को, सुलैमान त्राल के जंगलों में सक्रिय था।
पुलिस की जांच और गिरफ्तारियां
जम्मू-कश्मीर पुलिस ने इस मामले में पहलगाम के बटकूट गांव के परवेज अहमद जोथर और हिल पार्क के बशीर अहमद जोथर को गिरफ्तार किया था। हालांकि, इनकी भूमिका केवल आतंकियों को भोजन और आश्रय प्रदान करने तक सीमित रही। उन्होंने स्वीकार किया कि उन्हें इस बात की जानकारी नहीं थी कि आतंकवादी बैसरण में पर्यटकों को निशाना बनाएंगे।
हमले का अप्रत्याशित होना
बैसरण घाटी में हुआ यह हमला अप्रत्याशित था, क्योंकि आतंकवादी आमतौर पर पर्यटकों को निशाना नहीं बनाते। जहां हमला हुआ, वह खुला मैदान था, जहां सुरक्षाबलों की कोई उपस्थिति नहीं थी। बारिश थमने के बाद, घटना के तीन दिन पहले ही पर्यटक यहां आने लगे थे। जम्मू-कश्मीर पर्यटन विकास निगम ने इस स्थान को तीन साल के लिए एक निजी ऑपरेटर को लीज पर दिया था, लेकिन किराया अभी पूरी तरह जमा नहीं हुआ था। वर्तमान में जम्मू-कश्मीर में 68 विदेशी और 3 स्थानीय आतंकी सक्रिय हैं।
भारत की सुरक्षा चुनौतियां
इस हमले ने भारत के खिलाफ पाकिस्तान के छद्म-युद्ध और आतंक के नए तरीकों को उजागर किया है। यह दर्शाता है कि पाकिस्तान अब विदेशी आतंकियों के माध्यम से ऐसे हमले करवा रहा है, जिनका स्थानीय लोगों से कोई संबंध नहीं है। भारत के लिए यह आवश्यक है कि वह अपनी खुफिया और सुरक्षा एजेंसियों को मजबूत करे और आतंक के इस नेटवर्क को समाप्त करे।