जम्मू-कश्मीर में आतंकवाद से जुड़े सरकारी कर्मचारियों की बर्खास्तगी
जम्मू-कश्मीर के उपराज्यपाल मनोज सिन्हा ने दो सरकारी कर्मचारियों को आतंकवादी गतिविधियों में संलिप्तता के आरोप में बर्खास्त कर दिया है। यह कदम प्रशासन की ओर से आतंकवाद के खिलाफ उठाए गए ठोस कदमों का हिस्सा है। आलोचकों का कहना है कि केवल कथित संलिप्तता के आधार पर बर्खास्तगी उचित प्रक्रिया का उल्लंघन है। जानें इस मामले की पूरी कहानी और इसके पीछे की रणनीति।
Aug 22, 2025, 16:31 IST
जम्मू-कश्मीर में सरकारी कर्मचारियों की बर्खास्तगी
जम्मू-कश्मीर के उपराज्यपाल मनोज सिन्हा ने आज दो सरकारी कर्मचारियों को बर्खास्त कर दिया है। इन पर आतंकवादी गतिविधियों में संलिप्तता या उनके समर्थन का आरोप है। यह पहली बार नहीं है, इससे पहले भी केंद्र शासित प्रदेश के प्रशासन ने कई ऐसे कर्मचारियों को बर्खास्त किया है जो आतंकवादियों के प्रति सहानुभूति रखते थे।
आतंकवाद का खतरा केवल सीमावर्ती क्षेत्रों तक सीमित नहीं है, बल्कि यह प्रशासनिक ढांचे में भी घुसपैठ करने की कोशिश करता है। सरकारी कर्मचारियों पर की गई यह कार्रवाई यह दर्शाती है कि प्रशासन में 'दोहरी भूमिका' निभाने वालों के लिए कोई स्थान नहीं है।
जम्मू-कश्मीर लंबे समय से आतंकवादी हिंसा का शिकार रहा है, इसलिए सरकार की प्राथमिकता यह सुनिश्चित करना है कि संवेदनशील पदों पर बैठे लोग सुरक्षा तंत्र को कमजोर न करें। सरकारी नौकरी करदाताओं के पैसे से मिलती है, और यदि कोई व्यक्ति आतंकवाद का समर्थन करता है, तो उसका वेतन उसी व्यवस्था से आता है जिसे वह कमजोर कर रहा है। यह एक प्रकार का धोखा है। बर्खास्तगी इसी विरोधाभास को समाप्त करने का प्रयास है।
हालांकि, कुछ आलोचकों का मानना है कि केवल 'कथित संलिप्तता' के आधार पर सेवा समाप्त करना उचित प्रक्रिया का उल्लंघन है। ऐसे मामलों में पारदर्शिता और सबूत की मजबूती आवश्यक है, अन्यथा यह निर्णय अदालत में चुनौती का सामना कर सकता है। लेकिन व्यापक दृष्टिकोण से देखा जाए तो केंद्र सरकार और जम्मू-कश्मीर प्रशासन 'आतंकवाद मुक्त कश्मीर' की दिशा में तेजी से कदम बढ़ा रहे हैं। हाल के वर्षों में आतंकवादियों के खिलाफ ऑपरेशनों में वृद्धि हुई है, साथ ही उनके 'आर्थिक और संस्थागत समर्थन' को समाप्त करने की रणनीति भी अपनाई गई है। सरकारी कर्मचारियों की बर्खास्तगी इसी रणनीति का एक हिस्सा है।
उपराज्यपाल मनोज सिन्हा का यह कदम केवल दो कर्मचारियों की बर्खास्तगी नहीं है, बल्कि यह एक प्रतीकात्मक संदेश है कि आतंकवाद या उसके समर्थन से किसी भी स्तर पर समझौता नहीं किया जाएगा। सरकारी व्यवस्था को भीतर से कमजोर करने की कोशिशें बर्दाश्त नहीं की जाएंगी। बर्खास्त किए गए कर्मचारियों की पहचान भेड़ पालन विभाग में सहायक पशुपालक सियाद अहमद खान और स्कूल शिक्षक खुर्शीद अहमद राठेर के रूप में की गई है। सियाद खान केरन क्षेत्र का और खुर्शीद राठेर कारनाह क्षेत्र का निवासी है। दोनों स्थान उत्तरी कश्मीर के कुपवाड़ा जिले में हैं। अधिकारियों ने बताया कि उपराज्यपाल ने मामले की तथ्यों और परिस्थितियों पर विचार किया और कहा, 'उपलब्ध जानकारी के आधार पर दोनों की गतिविधियां ऐसी हैं कि उन्हें सेवा से बर्खास्त किया जाना चाहिए।'