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जम्मू-कश्मीर में आतंकवाद के खिलाफ सुरक्षा बलों की नई रणनीति

जम्मू-कश्मीर में सुरक्षा बलों ने आतंकवाद के खिलाफ अपनी रणनीति को और मजबूत किया है। नियंत्रण रेखा पर बीएसएफ और सेना ने नई निगरानी तकनीकों का उपयोग किया है, जबकि अनंतनाग में आतंकियों की धरपकड़ के लिए तलाशी अभियान जारी है। इस लेख में जानें कि कैसे सुरक्षा बल अब केवल प्रतिक्रिया नहीं दे रहे, बल्कि आतंकवाद के खिलाफ सक्रिय पहल कर रहे हैं। क्या यह नई रणनीति कश्मीर में आतंकवाद को समाप्त करने में सफल होगी? पढ़ें पूरी जानकारी के लिए।
 

सुरक्षा बलों की दोहरी रणनीति

जम्मू-कश्मीर में आतंकवाद के खिलाफ सुरक्षा बलों ने अपनी कार्रवाई को और तेज कर दिया है। नियंत्रण रेखा (LoC) पर बीएसएफ और सेना ने निगरानी के नए तरीके अपनाए हैं, जबकि अनंतनाग के घने जंगलों में सुरक्षाबल आतंकियों की खोज में जुटे हैं। यह दोनों गतिविधियाँ इस बात का संकेत हैं कि ‘ऑपरेशन सिंदूर’ के बाद भारतीय सुरक्षा बल अब कश्मीर में आतंकवाद की बचे हुए तत्वों को समाप्त करने के लिए तैयार हैं.


अनंतनाग में तलाशी अभियान

अनंतनाग जिले के कोकेरनाग क्षेत्र में पिछले दो दिनों से सेना, जम्मू-कश्मीर पुलिस और सीआरपीएफ का संयुक्त तलाशी अभियान चल रहा है। खुफिया जानकारी के अनुसार, आतंकवादियों का एक समूह इस घने पहाड़ी क्षेत्र में छिपा हुआ है। यह वही स्थान है जहाँ अगस्त 2024 और सितंबर 2023 में दो महत्वपूर्ण मुठभेड़ें हुई थीं, जिनमें कई सुरक्षाकर्मियों ने अपने प्राणों की आहुति दी थी. इन घटनाओं के बाद इस क्षेत्र को ‘दक्षिण कश्मीर का नया आतंक केंद्र’ माना गया है.


आधुनिक तकनीक का उपयोग

अधिकारियों के अनुसार, तलाशी अभियान में अत्याधुनिक ड्रोन, हैंडहेल्ड थर्मल स्कैनर और सैटेलाइट समन्वय का उपयोग किया जा रहा है। सुरक्षा बलों का कहना है कि पिछले एक वर्ष में स्थानीय स्तर पर आतंकवाद की नई भर्ती में कमी आई है, लेकिन जंगलों और पहाड़ी क्षेत्रों में विदेशी आतंकियों की मौजूदगी अब भी एक चुनौती बनी हुई है.


बीएसएफ की स्थिति

बीएसएफ कश्मीर फ्रंटियर के महानिरीक्षक अशोक यादव ने बताया कि नियंत्रण रेखा पर आतंकियों की घुसपैठ की कोशिशें लगभग विफल हो चुकी हैं। उन्होंने कहा, “हमने सतर्कता और आधुनिक निगरानी उपकरणों के माध्यम से नियंत्रण रेखा पर ऐसा प्रभुत्व स्थापित किया है कि दुश्मन अब पार नहीं कर पा रहा है।” उनके अनुसार, पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर (PoK) में 100 से 120 विदेशी आतंकवादी अब भी सक्रिय हैं, लेकिन भारतीय निगरानी प्रणाली ने उनके लिए दरवाजे लगभग बंद कर दिए हैं.


नई सुरक्षा नीति का संकेत

यह दोहरी कार्रवाई, यानी सीमा पर रोकथाम और भीतर की सफाई, कश्मीर नीति के एक महत्वपूर्ण चरण को दर्शाती है। अब सुरक्षा बल केवल ‘प्रतिक्रिया’ नहीं दे रहे, बल्कि ‘प्रारंभिक पहल’ कर रहे हैं। यह कश्मीर में आतंकवाद विरोधी रणनीति की परिपक्वता का संकेत है. पहले जहाँ हर आतंकी घटना के बाद सीमित जवाबी कार्रवाई होती थी, वहीं अब सतत निगरानी और त्वरित आक्रामकता पर ध्यान केंद्रित किया जा रहा है.


चेतावनी और भविष्य की चुनौतियाँ

हालांकि, खतरे की घंटी भी बजी हुई है। खुफिया रिपोर्टें बताती हैं कि इस्लामिक स्टेट और लश्कर-ए-तैयबा जैसे संगठन नई रणनीतियों पर काम कर रहे हैं। लेकिन बीएसएफ और सेना के समन्वित प्रयास यह दर्शाते हैं कि भारत किसी भी संभावित आतंकी गठबंधन को जन्म लेने से पहले ही समाप्त करने का इरादा रखता है.


सुरक्षा संतुलन

सर्दियों से पहले की यह सक्रियता सामान्य मौसमी ऑपरेशन नहीं है, बल्कि नए भारत की सुरक्षा सोच का संकेत है। कश्मीर की घाटियों में यदि अब भी बंदूक की आवाज़ सुनाई देती है, तो उसका जवाब कहीं अधिक तेज़ और सटीक तरीके से दिया जा रहा है। यही वह “सुरक्षा संतुलन” है जिसने आतंकवाद के लंबे साए को धीरे-धीरे कम करने में मदद की है.