जम्मू-कश्मीर में आतंकवाद के खिलाफ सख्त सुरक्षा उपायों का कार्यान्वयन
सुरक्षा कार्रवाई का व्यापक दायरा
जम्मू-कश्मीर में सुरक्षा उपायों को सख्ती से लागू किया जा रहा है, जो राजनीतिक और सैन्य दोनों दृष्टिकोण से महत्वपूर्ण संदेश देता है। नियंत्रण रेखा से लेकर आंतरिक क्षेत्रों जैसे पुंछ, राजौरी, सांबा और किश्तवाड़ तक, यह स्पष्ट किया जा रहा है कि आतंकवाद के लिए अब कोई स्थान नहीं है। सेना की समीक्षा बैठकों से लेकर रात के समय चलने वाले तलाशी अभियानों और उच्च राजनीतिक नेतृत्व की स्पष्ट चेतावनियों तक, सभी तंत्र एकजुट होकर कार्य कर रहे हैं।
उत्तरी सेना कमांडर का दौरा
उत्तरी सेना कमांडर लेफ्टिनेंट जनरल प्रतीक शर्मा ने जम्मू-कश्मीर के पुंछ जिले का दौरा किया, जहां उन्होंने आतंकवाद-रोधी अभियानों के लिए तैनात इकाइयों की तैयारियों की समीक्षा की। सुरनकोट के शाहसितार क्षेत्र में यह समीक्षा भविष्य की चुनौतियों के लिए एक स्पष्ट संकेत थी। कमांडर ने तकनीकी युद्ध क्षमताओं, रियल-टाइम इंटेलिजेंस और फील्ड-लेवल समन्वय पर जोर देते हुए कहा कि सेना हर स्थिति के लिए तैयार है। उत्तरी कमान का यह दौरा यह दर्शाता है कि नियंत्रण रेखा से जुड़े संवेदनशील क्षेत्रों में ढिलाई की कोई गुंजाइश नहीं है।
सुरक्षा बलों की सक्रियता
सुरक्षा बलों ने संदिग्ध गतिविधियों की सूचना के बाद सांबा, किश्तवाड़ और राजौरी में व्यापक तलाशी अभियान चलाए। सांबा के घगवाल क्षेत्र में पुलिस और सुरक्षा बलों की संयुक्त टीमें तीन संदिग्धों की गतिविधियों की सूचना पर सक्रिय हुईं। किश्तवाड़ के सिंहपुरा इलाके में भी सघन तलाशी अभियान चलाया गया। हर प्रवेश-निकास बिंदु पर निगरानी और हर संदिग्ध पर नज़र रखना अब एक सामान्य रणनीति बन चुकी है।
राजौरी में स्थिति की गंभीरता
राजौरी में स्थिति और भी गंभीर रही, जहां आधी रात के समय घेराबंदी और तलाशी अभियान शुरू हुआ। सूर्योदय के साथ यह अभियान और भी आक्रामक हो गया। थानामंडी और मंजाकोट उपमंडलों के बीच स्थित गांवों में 49 राष्ट्रीय राइफल्स, जम्मू-कश्मीर पुलिस और विशेष अभियान समूह की संयुक्त टीमें तैनात रहीं। बेहरोते गली सहित कई इलाकों में घर-घर और जंगल-जंगल तलाशी जारी है। संदेश स्पष्ट है कि सूचना मिलते ही कार्रवाई की जाएगी, जब तक क्षेत्र पूरी तरह सुरक्षित न हो जाए।
राजनीतिक नेतृत्व का समर्थन
इस सुरक्षा परिदृश्य को राजनीतिक नेतृत्व का स्पष्ट समर्थन भी प्राप्त है। जम्मू-कश्मीर के उपराज्यपाल मनोज सिन्हा ने कहा है कि 2019 के बाद प्राप्त सुरक्षा उपलब्धियों की रक्षा हर हाल में की जानी चाहिए। आईआईटी जम्मू में आयोजित पहले केंद्र शासित प्रदेश स्तरीय सुरक्षा सम्मेलन में उन्होंने स्पष्ट रूप से कहा कि घाटी, जंगलों, पहाड़ियों या गांवों में जहां भी आतंकवादी सक्रिय हैं, उन्हें और उनके समर्थकों को समाप्त किया जाना चाहिए। आतंकवाद और उसके समर्थक नेटवर्क के खिलाफ समन्वित कार्रवाई का आह्वान यह दर्शाता है कि नीति और कार्रवाई के बीच कोई दूरी नहीं छोड़ी जाएगी।
सुरक्षा परिदृश्य का समग्र विश्लेषण
कुल मिलाकर, जम्मू और कश्मीर में सुरक्षा परिदृश्य आक्रामक और निवारक रणनीति पर आधारित है। पुंछ से लेकर राजौरी तक सेना की तैयारियों, सांबा-किश्तवाड़ में चल रहे तलाशी अभियानों और शीर्ष नेतृत्व के स्पष्ट आदेशों से यह संदेश मिलता है कि आतंकवाद को न पनपने दिया जाएगा और न ही बच निकलने दिया जाएगा।