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जम्मू-कश्मीर के राज्य दर्जे की बहाली पर उच्चतम न्यायालय ने केंद्र से मांगा जवाब

उच्चतम न्यायालय ने जम्मू-कश्मीर को पूर्ण राज्य का दर्जा बहाल करने की मांग करने वाली याचिका पर केंद्र से जवाब देने का निर्देश दिया है। प्रधान न्यायाधीश बी आर गवई की पीठ ने इस मामले में सुनवाई के लिए आठ सप्ताह का समय निर्धारित किया है। न्यायालय ने अनुच्छेद 370 के निरस्तीकरण को बरकरार रखते हुए विधानसभा चुनाव सितंबर 2024 तक कराने का आदेश दिया है। जानें इस महत्वपूर्ण मामले के सभी पहलुओं के बारे में।
 

उच्चतम न्यायालय का केंद्र को निर्देश

उच्चतम न्यायालय ने जम्मू-कश्मीर को पूर्ण राज्य का दर्जा बहाल करने की मांग करने वाली याचिका पर केंद्र सरकार से जवाब देने के लिए कहा है। भारत के प्रधान न्यायाधीश बी आर गवई और न्यायमूर्ति के विनोद चंद्रन की पीठ ने केंद्र की ओर से सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता द्वारा प्रस्तुत तर्कों पर ध्यान दिया, जिसमें कहा गया कि निर्णय लेने की प्रक्रिया में कई पहलुओं पर विचार किया जाना आवश्यक है।


याचिका की सुनवाई का समय

पीठ ने शिक्षाविद् जहूर अहमद भट और सामाजिक-राजनीतिक कार्यकर्ता अहमद मलिक द्वारा दायर याचिका को आठ सप्ताह बाद सुनवाई के लिए सूचीबद्ध किया। जब भट की ओर से वरिष्ठ वकील गोपाल शंकरनारायणन ने त्वरित सुनवाई की मांग की, तो सीजेआई ने कहा, "पहलगाम में हुई घटनाओं को नजरअंदाज नहीं किया जा सकता... निर्णय लेना संसद और कार्यपालिका का कार्य है।"


अनुच्छेद 370 का मामला

उच्चतम न्यायालय ने 11 दिसंबर 2023 को अनुच्छेद 370 के निरस्तीकरण को सर्वसम्मति से बरकरार रखा था, जो जम्मू और कश्मीर को विशेष दर्जा प्रदान करता था। न्यायालय ने यह भी निर्देश दिया कि इस केंद्र शासित प्रदेश में सितंबर 2024 तक विधानसभा चुनाव कराए जाएंगे और राज्य का दर्जा "जल्द से जल्द" बहाल किया जाएगा। पिछले वर्ष, शीर्ष अदालत में एक याचिका दायर की गई थी, जिसमें केंद्र से जम्मू-कश्मीर का पूर्ण राज्य का दर्जा बहाल करने के लिए निर्देश देने का अनुरोध किया गया था।