छींक रोकने के खतरनाक परिणाम: एक व्यक्ति की कहानी
छींक रोकने का खतरनाक परिणाम
छींक को रोकने के बारे में अक्सर सुना जाता है कि इससे दिमाग फट सकता है या आंखें बाहर आ सकती हैं, लेकिन हाल ही में एक घटना ने इसे सच साबित कर दिया है। ब्रिटिश मेडिकल जर्नल (BMJ) में प्रकाशित एक केस स्टडी के अनुसार, एक व्यक्ति ने छींक रोकने के प्रयास में अपनी श्वास नली में एक छोटा सा छेद बना लिया। रिपोर्ट के अनुसार, यह व्यक्ति कार चला रहा था जब उसे जुकाम का अटैक हुआ। छींक आने की तीव्रता को रोकने के लिए उसने नाक दबा ली और मुंह बंद कर लिया। इस दबाव के कारण उसकी श्वास नली में 0.08 बाय 0.08 इंच (2 बाय 2 मिलीमीटर) का छेद हो गया।
छींकने की प्रक्रिया एक जैविक क्रिया है, जिसमें काफी दबाव उत्पन्न होता है। जब आप छींक को रोकते हैं, तो उत्पन्न दबाव सामान्य छींक के दबाव से लगभग 20 गुना अधिक होता है। यही कारण है कि उस व्यक्ति की श्वास नली में छेद हो गया।
गर्दन के एक्स-रे से यह स्पष्ट हुआ कि छींक के कारण हवा त्वचा के गहरे टिशू के नीचे फंस गई थी। सीटी स्कैन से पता चला कि छींक ने तीसरी और चौथी हड्डी के बीच की मांसपेशियों को फाड़ दिया था। हवा छाती के बीच फेफड़ों के स्थान में भी जमा हो गई थी।
रिपोर्ट के अनुसार, वह व्यक्ति असहनीय दर्द में था और उसकी गर्दन दोनों तरफ सूज गई थी। वह हिल भी नहीं सकता था। डॉक्टरों ने उसकी जांच की, तो उन्हें एक कर्कश आवाज सुनाई दी। हालांकि उसे सांस लेने, निगलने और बात करने में कोई समस्या नहीं थी, लेकिन उसके गले के हिलने पर उसका कोई नियंत्रण नहीं था। उसे दर्द निवारक दवाएं दी गईं और पूरी तरह ठीक होने में उसे 5 दिन लग गए।
यह घटना हमें यह सिखाती है कि छींक को रोकने का प्रयास न करें। छींकना आपके शरीर की रक्षा करने का एक प्राकृतिक तरीका है और इसे रोकने से गंभीर नुकसान हो सकते हैं। यदि आपको छींक आ रही है, तो उसे खुलकर आने दें।