छिंदवाड़ा में दूषित कफ सिरप से बच्चों की मौत: सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर
मध्य प्रदेश के छिंदवाड़ा में दूषित कफ सिरप के सेवन से 14 बच्चों की मौत के मामले में सुप्रीम कोर्ट में एक याचिका दायर की गई है। अधिवक्ता विशाल तिवारी ने सीबीआई जांच की मांग की है और सभी दूषित सिरप बैचों पर प्रतिबंध लगाने की अपील की है। याचिका में शोक संतप्त परिवारों को मुआवज़ा देने और दवा सुरक्षा की निगरानी के लिए एक राष्ट्रीय पोर्टल बनाने की भी मांग की गई है। जानें इस गंभीर मामले की पूरी जानकारी और इसके पीछे की सच्चाई।
Oct 7, 2025, 15:26 IST
सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर
छिंदवाड़ा जिले, मध्य प्रदेश में दूषित कफ सिरप के सेवन से 14 बच्चों की मौत के मामले में केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) से जांच की मांग करते हुए सुप्रीम कोर्ट में एक याचिका प्रस्तुत की गई है। यह याचिका अधिवक्ता विशाल तिवारी द्वारा दायर की गई है, जिसमें देशभर में सभी दूषित कफ सिरप बैचों पर प्रतिबंध लगाने और उन्हें वापस मंगाने की मांग की गई है। साथ ही, सभी सिरप-आधारित फ़ॉर्मूलेशनों की अनिवार्य जांच की भी आवश्यकता बताई गई है। तिवारी ने अन्य राज्यों में हुई समान घटनाओं का उल्लेख करते हुए अनुरोध किया है कि जांच सर्वोच्च न्यायालय के किसी पूर्व न्यायाधीश की निगरानी में की जाए।
मुआवज़ा और निगरानी की मांग
याचिका में शोक संतप्त परिवारों को मुआवज़ा देने की मांग की गई है, साथ ही दवा सुरक्षा अलर्ट की वास्तविक समय पर निगरानी के लिए एक राष्ट्रीय फार्माकोविजिलेंस पोर्टल स्थापित करने का प्रस्ताव भी रखा गया है। इसमें संविधान के अनुच्छेद 21 के तहत बच्चों के स्वास्थ्य और जीवन के अधिकार का भी उल्लेख किया गया है, जो यह सुनिश्चित करता है कि किसी भी उपचार के लिए बनाई गई दवा मृत्यु का कारण न बने। यह मामला उस त्रासदी से संबंधित है जिसमें कोल्ड्रिफ कफ सिरप पीने से 15 साल से कम उम्र के 14 बच्चों की जान चली गई थी। राज्य सरकार द्वारा किए गए परीक्षणों में यह पाया गया कि सिरप, जो तमिलनाडु स्थित श्रीसन फार्मा प्राइवेट लिमिटेड द्वारा निर्मित था, में डायएथिलीन ग्लाइकॉल (डीईजी) मौजूद था - एक जहरीला औद्योगिक विलायक जो दवाओं में उपयोग के लिए प्रतिबंधित है।
गंभीर स्वास्थ्य समस्याएं
प्रारंभिक रिपोर्टों से यह स्पष्ट हुआ है कि सिरप का सेवन करने वाले कई बच्चों को गंभीर गुर्दे की विफलता का सामना करना पड़ा और कुछ ही दिनों में मृतकों की संख्या चौदह हो गई। इसके बाद महाराष्ट्र के नागपुर से भी इसी तरह के मामले सामने आए हैं। याचिका में केंद्र सरकार और केंद्रीय औषधि मानक नियंत्रण संगठन (सीडीएससीओ) की निष्क्रियता पर सवाल उठाया गया है, जिसमें आरोप लगाया गया है कि दूषित पदार्थों की पहचान होने के बावजूद कोई प्रतिबंध या चेतावनी जारी नहीं की गई।