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छाती के कफ से राहत पाने के लिए जेष्ठमध का उपयोग

छाती में कफ जमा होना एक आम समस्या है, जो सांस लेने में कठिनाई पैदा कर सकती है। खासकर बच्चों और बुजुर्गों के लिए यह गंभीर हो सकता है। इस लेख में, हम जेष्ठमध (मुलेठी) के उपयोग के बारे में जानेंगे, जो मात्र 2-3 रुपये में छाती के कफ को साफ करने में मदद कर सकता है। जानें इसके लक्षण, उपयोग की विधियाँ और सावधानियाँ, ताकि आप और आपके परिवार के सदस्य स्वस्थ रह सकें।
 

छाती में कफ की समस्या


नमस्कार दोस्तों, कभी-कभी छाती में कफ इतना जमा हो जाता है कि सांस लेना भी कठिन हो जाता है। यह समस्या विशेष रूप से छोटे बच्चों, बुजुर्गों या जिनकी रोग प्रतिरोधक क्षमता कमजोर होती है, के लिए गंभीर हो सकती है। यदि इस पर समय पर ध्यान नहीं दिया गया, तो यह निमोनिया जैसी बीमारियों का कारण बन सकता है।


साधारण उपाय

क्या आप जानते हैं कि मात्र 2-3 रुपये की एक साधारण औषधि से छाती का कफ केवल 2 मिनट में साफ किया जा सकता है?


कफ के लक्षण

छाती में कफ जमने के लक्षण:



  • थकावट महसूस होना

  • मुँह में मीठा स्वाद आना

  • सांस लेते समय सीटी जैसी आवाज़ आना

  • चिपचिपा पसीना आना

  • आलस्य और नींद आना

  • भूख कम लगना या थोड़ा खाने पर ही पेट भर जाना


यदि इनमें से कोई लक्षण दिखाई दे, तो समझें कि शरीर में कफ जमा है।


उपाय क्या है?

इस समस्या का समाधान है जेष्ठमध (मुलेठी)। यह एक औषधीय पौधा है, जिसकी मीठी जड़ श्वसन तंत्र से जुड़ी समस्याओं को दूर करने में सहायक होती है।


उपयोग करने की विधि

विधि 1: सीधे चबाकर खाएँ



  • मुलेठी की एक छोटी कड़ी लें,

  • उसे चबाएँ और रस निगलते रहें।

  • इसके बाद एक कप गुनगुना पानी पिएँ।

  • दिन में 3 बार ऐसा करने से कफ आसानी से बाहर निकल जाता है।


विधि 2: काढ़ा बनाकर पिएँ



  • मुलेठी की 2-3 इंच की कड़ी को तोड़कर कुचल लें।

  • इसे 2 कप पानी में डालकर उबालें।

  • जब पानी आधा रह जाए, तो छान लें।

  • इसमें 2-3 बूँद अदरक का रस डालें।

  • गुनगुना रहते ही पिएँ। बच्चों को आधा कप देना चाहिए।


परिणाम

परिणाम:



  • कफ उल्टी के रूप में बाहर निकलता है या जलकर नष्ट होता है।

  • ऑक्सीजन लेवल बढ़ता है (99-100% तक)।

  • खाँसी, बुखार, गला बैठना जैसी समस्याएँ कम होती हैं।

  • आवाज़ साफ़ होती है, साँस लेना आसान होता है।


महत्वपूर्ण सावधानियाँ

महत्वपूर्ण सावधानियाँ:



  • पाउडर रूप में मुलेठी न लें, क्योंकि उसमें मिलावट हो सकती है।

  • सिर्फ़ असली लकड़ी जैसी जड़ ही इस्तेमाल करें।

  • मात्रा सीमित रखें।

  • बच्चों और बुजुर्गों को आधी मात्रा ना दें।


निष्कर्ष

निष्कर्ष:


मुलेठी की जड़ हर घर में रखनी चाहिए। यह खाँसी, कफ, गले की खराश और सांस से जुड़ी बीमारियों के लिए अमृत समान है।