छत्तीसगढ़ में सिकल सेल सेंटर ऑफ कॉम्पिटेंस की स्थापना
एम्स में सिकल सेल सेंटर की योजना
सिकल सेल एनीमिया के उन्मूलन के लिए छत्तीसगढ़ ने वर्ष 2047 तक इसे सार्वजनिक स्वास्थ्य समस्या के रूप में समाप्त करने का लक्ष्य रखा है। इस दिशा में राज्य ने महत्वपूर्ण प्रगति की है। 0 से 40 वर्ष के आयु वर्ग के नागरिकों की सिकल सेल जांच व्यापक स्तर पर की जा रही है और कार्ड का वितरण किया जा रहा है। जशपुर जिला इस मामले में एक विशेष उपलब्धि के रूप में उभरा है, जहां लक्षित जनसंख्या की 100 प्रतिशत सिकल सेल स्क्रीनिंग पूरी की गई है।
स्वास्थ्य विभाग की तैयारी
स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण विभाग ने सिकल सेल प्रबंधन के लिए ठोस तैयारी की है। पिछले दो वर्षों में सरकारी स्वास्थ्य संस्थानों में हाइड्रोक्सीयूरिया दवा की खपत 1 लाख कैप्सूल से बढ़कर 5 लाख कैप्सूल तक पहुँच गई है, जो उपचार की निरंतरता और बेहतर पहुंच को दर्शाता है।
सिकल सेल जांच और मरीजों की पहचान
अब तक छत्तीसगढ़ में लगभग 1.65 करोड़ लोगों की सिकल सेल जांच की जा चुकी है, और उन्हें भारत सरकार के पोर्टल पर पंजीकृत किया गया है। इस जांच के दौरान 3 लाख 35 हजार से अधिक सिकल सेल वाहक और 27 हजार 135 सिकल सेल मरीजों की पहचान की गई है। राज्य सरकार सभी चिन्हित मरीजों को निःशुल्क दवाइयां, चिकित्सकीय परामर्श और सतत उपचार की सुविधा प्रदान कर रही है।
मरीजों के प्रति संवेदनशीलता
सिकल सेल मरीजों को दिव्यांगता प्रमाण पत्र भी दिए जा रहे हैं। इसके अलावा, मरीजों की सुविधा के लिए मेडिसिन चार्ट, पेशेंट बुकलेट और दर्द प्रबंधन दिशानिर्देश जैसे संसाधन उपलब्ध कराए गए हैं।
भविष्य की चिकित्सा सुविधाएं
आवश्यकताओं को ध्यान में रखते हुए एम्स में सिकल सेल सेंटर ऑफ कॉम्पिटेंस का विकास किया जा रहा है, जहां बोन मैरो ट्रांसप्लांट, जेनेटिक एनालिसिस और सीवीएस टेस्ट जैसी उच्च तकनीकी सुविधाएं उपलब्ध होंगी। पिछले एक वर्ष में 5,232 सिकल सेल मरीजों का नियमित फॉलोअप किया गया है, जिससे सिकल सेल क्राइसिस और रक्त की आवश्यकता में कमी आई है। प्रदेश के सभी सिकल सेल मरीजों को हर तीन माह में निःशुल्क रक्त जांच, लीवर और किडनी जांच की सुविधा दी जा रही है।