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छत्तीसगढ़ में शराब घोटाले के बाद आबकारी व्यवस्था में ऐतिहासिक सुधार

छत्तीसगढ़ में हाल ही में सामने आए शराब घोटाले के बाद, राज्य सरकार ने अपनी आबकारी व्यवस्था में महत्वपूर्ण सुधार किए हैं। अब हर शराब की बोतल पर नासिक में छापे जाने वाले होलोग्राम का उपयोग किया जाएगा, जिससे फर्जीवाड़े की संभावनाएं कम होंगी। इस नई प्रणाली में सात लेयर वाला हाई-सिक्योरिटी होलोग्राम शामिल है, जो नकल करना मुश्किल बनाता है। जानें इस बदलाव के पीछे की वजह और इसके संभावित प्रभावों के बारे में।
 

आबकारी व्यवस्था में बदलाव


रायपुर: छत्तीसगढ़ में हाल ही में उजागर हुए हजारों करोड़ रुपये के शराब घोटाले के बाद, राज्य सरकार ने अपनी आबकारी व्यवस्था में महत्वपूर्ण परिवर्तन किए हैं। अब, राज्य में बेची जाने वाली प्रत्येक शराब की बोतल पर होलोग्राम महाराष्ट्र के नासिक स्थित नोट प्रिंटिंग प्रेस में ही छापा जाएगा। इस तरह, छत्तीसगढ़ देश का पहला राज्य बन गया है जो इस प्रणाली को लागू कर रहा है।


नकली होलोग्राम का मामला

घोटाले में नकली होलोग्राम से खेल


पूर्व सरकार के कार्यकाल में सामने आए लगभग 3200 करोड़ रुपये के शराब घोटाले में नकली होलोग्राम का एक बड़ा नेटवर्क उजागर हुआ था। इसी समस्या को स्थायी रूप से समाप्त करने के लिए आबकारी विभाग ने अपनी पूरी व्यवस्था को नए सिरे से तैयार किया है।


हाई-सिक्योरिटी होलोग्राम की विशेषताएँ

7 लेयर का हाई सिक्योरिटी होलोग्राम


नई प्रणाली के अंतर्गत, शराब की प्रत्येक बोतल पर सात लेयर वाला हाई-सिक्योरिटी होलोग्राम लगाया जाएगा, जिसे नकल करना अत्यंत कठिन होगा। इससे फर्जीवाड़ा, छेड़छाड़ और अवैध शराब पर त्वरित कार्रवाई संभव हो सकेगी।


होलोग्राम छपाई पर खर्च

होलोग्राम पर होंगे करोड़ों खर्च


होलोग्राम की छपाई पर हर साल लगभग 75 करोड़ रुपये का खर्च आएगा, लेकिन इसका बोझ राज्य सरकार पर नहीं पड़ेगा। यह राशि बॉटलिंग कंपनियां सीधे नासिक नोट प्रिंटिंग प्रेस को जमा करेंगी।


इसके साथ ही, टेंडर प्रणाली को पूरी तरह समाप्त कर दिया गया है। आबकारी विभाग अब सीधे केंद्र सरकार की इकाई के साथ काम करेगा, जिससे दलालों, कमीशनखोरी और भ्रष्टाचार की संभावनाएं लगभग समाप्त हो जाएंगी। सरकार को उम्मीद है कि इससे पारदर्शिता में वृद्धि होगी और राजस्व में भी बढ़ोतरी होगी।