छत्तीसगढ़ में महिलाओं के मतदाता नामों की कटौती: एक गंभीर लोकतांत्रिक संकट
महिलाओं की पहचान का संकट
रायपुर
शादी के बाद घर, नाम और पहचान बदलने के चलते छत्तीसगढ़ में मतदाता सूची से कई महिलाओं के नाम गायब हो गए हैं। विशेष गहन पुनरीक्षण (SIR) के दौरान 27 लाख से अधिक नामों में से 12 लाख से ज्यादा महिलाएं प्रभावित हुई हैं। अधिकारियों के अनुसार, इसे शिफ्टिंग कहा जा रहा है, लेकिन महिलाओं के लिए यह एक प्रकार की लोकतांत्रिक बेदखली बन गई है। शहर में यह संख्या लगभग 1.2 लाख है। शादी के बाद ससुराल जाने वाली महिलाओं के लिए यह समस्या और बढ़ गई है। जब एक महिला ने वोटर आईडी में पता बदला और आधार कार्ड प्रस्तुत किया, तब भी 2003 की सूची में नाम न मिलने के कारण उसका मताधिकार छीन लिया गया। गुढ़ियारी की एक महिला ने एसआइआर फॉर्म में पति का नाम रिश्तेदार के रूप में भरा, लेकिन जब पति की जानकारी 2003 की सूची में डाली गई, तो सिस्टम ने एंट्री को खारिज कर दिया।
एक नाम, दो महिलाएं, वोट अधर में
बीएलओ ने बताया कि कई मामलों में एक ही नाम और पति का नाम होने के कारण दो महिलाओं के नाम होल्ड कर दिए गए। अब इन महिलाओं को अपनी पहचान साबित करने के लिए दावा-आपत्ति में भाग लेना होगा।
फॉर्म में गलती, महिलाओं को भुगतना पड़ा नुकसान
19 लाख से अधिक नाम ऐसे कटे हैं, जिनमें फॉर्म भरने में त्रुटि, पुराने दस्तावेज और बीएलओ की लापरवाही शामिल हैं। कई मामलों में आधार नया था, जबकि वोटर कार्ड पुराना था। इसका प्रभाव महिलाओं पर अधिक पड़ा है, क्योंकि अधिकांश ने शादी के बाद अपना पता बदला था।
एक मकान में 150 वोटर, असली महिलाएं बाहर
जहां असली महिला मतदाताओं के नाम कट रहे हैं, वहीं बीरगांव के गाजी नगर में एक ही मकान में 150 वोटर दर्ज मिले हैं। कई मकानों में 40-50 नाम पाए गए। गुढ़ियारी के महावीर स्कूल और सियान सदन में एसआइआर के दौरान बड़ी संख्या में महिलाएं नाम जुड़वाने पहुंचीं। कई महिलाओं को पहली बार पता चला कि उनका नाम वोटर लिस्ट में नहीं है।
पहचान फिर से साबित करनी होगी
रायपुर जिले के उप निर्वाचन अधिकारी नवीन ठाकुर का कहना है कि अधिकांश नाम दोबारा जुड़ जाएंगे। लेकिन इसके लिए महिलाओं को फिर से आवेदन, दस्तावेज और दफ्तरों के चक्कर लगाने होंगे। लोकतंत्र में समानता की बात करने वाले सिस्टम में आज महिला मतदाता को यह साबित करना पड़ रहा है कि वह मौजूद हैं।