छत्तीसगढ़ में पूर्व माओवादियों के लिए रोजगार का नया अवसर: कैफे पंडुम का उद्घाटन
छत्तीसगढ़ के जगदलपुर में कैफे पंडुम का उद्घाटन किया गया, जिसका उद्देश्य आत्मसमर्पण कर चुके पूर्व माओवादियों को रोजगार के अवसर प्रदान करना है। मुख्यमंत्री विष्णु देव साय ने इस पहल की सराहना की और कहा कि सरकार नक्सलवाद से प्रभावित लोगों की सहायता के लिए प्रतिबद्ध है। पूर्व नक्सलियों ने इस कैफे के माध्यम से अपने नए जीवन की शुरुआत की है और सरकार का आभार व्यक्त किया है। यह कदम न केवल उनके लिए रोजगार का अवसर है, बल्कि उनके जीवन में सकारात्मक बदलाव लाने का भी एक प्रयास है।
Nov 18, 2025, 11:15 IST
कैफे पंडुम का उद्घाटन
छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री विष्णु देव साय ने बस्तर क्षेत्र के जगदलपुर में कैफे पंडुम का उद्घाटन किया, जो माओवादियों को मुख्यधारा से जोड़ने के राज्य सरकार के प्रयासों का हिस्सा है। इस कैफे का उद्देश्य आत्मसमर्पण कर चुके पूर्व माओवादियों को रोजगार के अवसर प्रदान करना है। उद्घाटन के दौरान, मुख्यमंत्री ने कहा कि सरकार का लक्ष्य नक्सलवाद से प्रभावित लोगों की सहायता करना है। उन्होंने यह भी बताया कि सरकार कौशल विकास कार्यक्रमों के माध्यम से इन व्यक्तियों को रोजगार से जोड़ने के लिए प्रतिबद्ध है। उन्होंने कहा, 'आज माँ दंतेश्वरी की धरती पर इस पंडुम कैफे का उद्घाटन हुआ है, जिसे हमारे नक्सलवाद पीड़ित युवा चलाएँगे।'
पूर्व नक्सलियों की प्रतिक्रिया
सीएम साय ने कहा कि यह एक सकारात्मक पहल है, और उन्होंने सभी युवाओं को शुभकामनाएँ दीं। कैफे के उद्घाटन के बाद, पूर्व नक्सलियों ने अपने नए जीवन के लिए खुशी व्यक्त की और सरकार का आभार जताया। जनवरी 2025 में आत्मसमर्पण करने वाली पूर्व नक्सली फूलमती ने बताया कि इस कैफे ने उनकी ज़िंदगी में बदलाव लाया है और उन्हें अपने परिवार की देखभाल करने का अवसर दिया है। उन्होंने कहा, 'मैं बस्तर से हूँ और 2009 में नक्सली संगठन में शामिल हुई थी। मुझे नहीं पता था कि यह क्या है।' उन्होंने आत्मसमर्पण के बाद अपने परिवार से मिलने का अनुभव साझा किया।
नौकरी और नई शुरुआत
फूलमती ने आगे कहा कि उन्हें यहाँ नौकरी मिल गई है, जिससे उनकी ज़िंदगी में सकारात्मक बदलाव आया है। 2016 में आत्मसमर्पण करने वाले बीरेन ठाकुर ने भी अपनी खुशी व्यक्त की। उन्होंने बताया कि उन्होंने आतिथ्य सत्कार का प्रशिक्षण लिया है और कैफे में काम करने के लिए उत्साहित हैं। ठाकुर ने कहा, 'मैं सुकमा से हूँ और 2004 से नक्सली संगठनों से जुड़ा था। अब मेरी जिंदगी बदल जाएगी।'